हनुमान जयंती पर दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के बाद बुधवार को स्थिति और ज्यादा खराब होती दिखी। जहांगीरपुरी पहुंचे एआईएमआईएम नेता ओवैसी को दिल्ली पुलिस ने वापस लौटा दिया तो भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के नेताओं ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। उधर, इलाके में बुल्डोजर चलने के बाद मंदिर समिति ने अवैध निर्माण खुद ही हटाना शुरू कर दिया।
अमित शाह से मुलाकात करने वाले भाजपा नेताओं में प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता, विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी, मनजिंदर सिंह सिरसा शामिल थे। यह मुलाकात नार्थ ब्लॉक स्थित शाह के कार्यालय में हुई। हालांकि मुलाकात में शाह से क्या बात हुई, इस बारे में भाजपा नेताओं ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेताओं की शाह से चर्चा के दौरान जहांगीरपुरी में अतिक्रमण रोधी अभियान का मुद्दा उठा।
उधर, जहांगीरपुरी में जाने से रोके जाने पर ओवैसी गुस्से से बिफर गए। अवैध निर्माण पर कार्रवाई को लेकर एक टीवी चैनल से बात में उन्होंने कहा कि अगर वो अनाधिकृत थे तो 7 साल से बीजेपी सरकार क्यों सो रही थी? उनका कहना था कि सरकार एक समुदाय विशेष को निशाना बनाकर उनकी दुकान और घर को नुकसान पहुंचाने का काम कर रही है।
हालांकि भाजपा ने विपक्ष के उन आरोपों का खंडन किया कि दिल्ली के जहांगीपुरी में अतिक्रमण के खिलाफ चलाए गए अभियान में मुसलमानों को निशाना बनाया गया। पार्टी का कहना है कि यह एक कानूनी कार्रवाई थी और इसका किसी धर्म से लेना-देना नहीं था। नगर निगम ने भी अपने बयान में कहा कि अवैध निर्माणों को ढहाने के लिए नोटिस देने की कोई जरूरत नहीं है।
दूसरी तरफ आप ने भाजपा पर रामनवमी के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा भड़काने का भी आरोप लगाया। आप ने आरोप लगाया कि सांप्रदायिक हिंसा और दंगे भड़काने के एकमात्र मकसद से भाजपा ने पिछले आठ वर्षों के दौरान रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध रूप से बसाया है।
जहांगीरपुरी पहुंचे ओवैसी को दिल्ली पुलिस ने वापस लौटाया pic.twitter.com/e6AMDhDxdk
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अगर वो अनाधिकृत थे तो 7 साल से BJP सरकार क्यों सो रही थी ?
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सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में चले अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने मुस्लिम आरोपियों के मकानों को तोड़े जाने संबंधी जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर संज्ञान लेने के बाद यह आदेश दिया। चीफ जस्टिस एनवी. रमन्ना की बेंच ने दिन में उस समय फिर हस्तक्षेप किया जब उसे बताया गया कि अधिकारी इस आधार पर कार्रवाई नहीं रोक रहे हैं कि उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं प्राप्त हुई है।