Jagjit Singh Dallewal Hunger strike: किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 40 दिनों से किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर हरियाणा और पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हैं। डल्लेवाल की उम्र 70 साल है और वह कैंसर के मरीज हैं। लगातार बिगड़ती सेहत के बावजूद इस बुजुर्ग किसान नेता ने किसी भी तरह की मेडिकल सुविधा लेने से इनकार कर दिया है। बताना होगा कि खनौरी और शंभू बॉर्डर पर फरवरी 2024 से किसान अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं।

डल्लेवाल ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि यह उनके लिए करो या मरो की लड़ाई है। उन्होंने उनकी सेहत के बारे में चिंता करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया। वह कहते हैं कि अगर केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का गारंटी कानून बनाती है तो वह अनशन समाप्त कर देंगे।

इस सवाल के जवाब में कि अगर सरकार बातचीत के लिए बुलाए तो क्या आप अनशन समाप्त करेंगे? डल्लेवाल अपनी बात और साफ करते हैं कि वह अपना अनशन तभी खत्म करेंगे जब एमएसपी का गारंटी कानून लागू हो जाएगा।

‘चाहे जितनी ताकत लगा लो, हम पीछे नहीं हटेंगे’ खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसानों की केंद्र को दो टूक

खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान। (Express photo by Jasbir Malhi)

जान देने के लिए तैयार हूं: किसान नेता

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के संयोजक डल्लेवाल कहते हैं कि उन्होंने 24 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था और उनसे एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित कुछ अन्य मांगों को लेकर आग्रह किया था। चार दशक से ज्यादा वक्त से किसान यूनियनों से जुड़े रहे डल्लेवाल ने कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वह इस धरना स्थल पर ही अपनी जान देने के लिए तैयार हैं।

बेहद जरूरी है एमएसपी की कानूनी गारंटी: डल्लेवाल

किसान नेता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम हाईवे पर जाम नहीं लगा रहे हैं। हरियाणा की सरकार हमें शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ने से रोक रही है। किसानों से जुड़े मुद्दों की समझ रखने वाले डल्लेवाल कहते हैं कि किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और ऐसे में एमएसपी की कानूनी गारंटी दिया जाना बेहद जरूरी है। पंजाब के किसानों द्वारा लड़ी जा रही इस लड़ाई से देश भर के किसानों को फायदा होगा।

जब उनसे यह पूछा गया कि वह किसान यूनियन का हिस्सा क्यों और कैसे बने तो उन्होंने बताया कि छात्र जीवन के दौरान उन्हें किसान यूनियनों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। हालांकि उनके भाई 1980 के दशक में भारतीय किसान यूनियन के गांव स्तर के पदाधिकारी बने थे। इसके बाद उन्हें भी फरीदकोट जिले में सादिक ब्लॉक का अध्यक्ष बनाया गया। वह किसान नेता नहीं बनना चाहते थे लेकिन फिर वह मान गए।

कौन हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल? MSP की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर 36 दिन से कर रहे हैं आमरण अनशन

आमरण अनशन पर डटे हैं किसान नेता डल्लेवाल। (Express Photo by Gurmeet Singh)

बाद में वह भारतीय किसान यूनियन के फरीदकोट के जिला अध्यक्ष बने और आगे बढ़ते हुए 2000 के दशक के मध्य में पिशोरा सिंह सिद्धूपुर के नेतृत्व में भाकियू (सिद्धूपुर) का गठन किया। 2017 में वह इस संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष बने।

पिशोरा सिंह के निधन के बाद मार्च 2018 में वह प्रदेश अध्यक्ष बने और उनके नेतृत्व में भाकियू (सिद्धूपुर) का विस्तार पंजाब में 20 जिलों तक हुआ।

बनाया संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक)

जगजीत सिंह डल्लेवाल कहते हैं कि साल 2020 में मोदी सरकार के द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भाकियू (सिद्धूपुर) संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा था। कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद कुछ यूनियनों ने पंजाब विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया लेकिन उन्होंने अलग रास्ता अपनाया और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) का गठन किया जिससे किसानों के हक की लड़ाई पर फोकस किया जा सके।

डल्लेवाल बताते हैं कि उन्होंने 45 साल से ज्यादा वक्त तक किसान यूनियनों के साथ काम किया है और वह कई राज्यों में गए हैं। वह कहते हैं कि पिछली बार हुए किसान आंदोलन के समय कई राज्यों के किसानों ने कहा था कि आंदोलन को एमएसपी के लिए गारंटी कानून पारित होने तक जारी रखना चाहिए था लेकिन तब हमें आंदोलन स्थगित करना पड़ा था। अब फिर से एक बार आंदोलन चल रहा है और एमएसपी के गारंटी कानून के लिए मैंने अपनी जान को दांव पर लगा दिया है।

26 नवंबर से अनशन पर हैं किसान नेता

डल्लेवाल कहते हैं, “मैं पहले भी भूख हड़ताल कर चुका हूं लेकिन इस बार यह आर-पार की लड़ाई है।” बताना जरूरी होगा कि जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 25 नवंबर, 2024 को अपनी वसीयत बनाकर जमीन अपनी बहू, बेटे और पोते के नाम कर दी थी और 26 नवंबर से वह अनशन पर बैठ गए थे।

डल्लेवाल कहते हैं कि अब देश भर के किसानों की जिम्मेदारी है कि वे इस आंदोलन में भाग लें। उन्होंने पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों से एकजुट होकर इस संघर्ष में शामिल होने की अपील की है।

किसानों के विरोध-प्रदर्शन को खत्म करने के लिए पंजाब सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर क्या कहा? क्लिक कर पढ़िए खबर।