Jagdeep Dhankar and George Soros Controversy: राज्यसभा में जगदीप धनखड़ की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं, उपराष्ट्रपति के खिलाफ कांग्रेस एक अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। दावा कर दिया गया है कि उनके पास इस समय कुल 70 सांसदों का समर्थन है, बड़ी बात यह है कि कई दिनों से कांग्रेस से दूर चल रही समाजवादी पार्टी और टीएमसी ने भी इस अविश्वास प्रस्ताव के लिए अपना समर्थन किया है।
अब सबसे बड़ा सवाल इस समय यही चल रहा है कि आखिर जगदीप धनखड़ ऐसे कौन से विवाद में फंस गए हैं? आखिर इंडिया गठबंधन की ऐसी कौन सी मजबूरी है कि अब उन्हें धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ रहा है? अब जानकारी के लिए बता दें कि पिछले काफी समय से जगदीप धनखड़ पर विपक्ष द्वारा पक्षपात करने का आरोप लग रहा है। यहां तक कहां जा रहा है कि धनखड़ विपक्ष के नेताओं को तो जरूरी मुद्दों पर बोलने का मौका नहीं दे रहे, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी सांसदों को हर मुद्दे पर बोलने दिया जा रहा है।
अब वैसे इस प्रकार के आरोप तो विपक्ष पहले भी जगदीप धनखड़ पर लगा चुका है, लेकिन इस बार मामला ज्यादा गंभीर इसलिए हो गया क्योंकि बीजेपी ने राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी की फंडिंग को लेकर सवाल खड़े कर दिए। आरोप लगाया गया कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी फोरम ऑफ़ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पेसिफिक से जुड़ी हुई हैं। यह ऐसा संगठन है जो कश्मीर को भारत से अलग करने की बात करता है, बड़ी बात यह है इस संगठन को फंडिंग देने का काम जॉर्ज सोरोस करते हैं।
बीजेपी ने दावा कर दिया है कि देश के खिलाफ जितनी भी फर्जी रिपोर्ट जारी की जाती हैं, उसमें कांग्रेस का भी एक बड़ा हाथ रहता है। अब इसी मुद्दे को लेकर राज्यसभा में बीजेपी सांसद कांग्रेस को घेरने का काम कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष और खास तौर पर कांग्रेस का आरोप है कि जगदीप धनखड़ ने बीजेपी को तो इस मुद्दे पर खुलकर बोलने दिया लेकिन जो विपक्ष के पास कई दूसरे मुद्दे थे, उन पर बातचीत का एक बार भी मौका नहीं मिल पाया।
अब जानकारी के लिए बता दें कि जॉर्ज सोरोस एक प्रमुख Hungarian-American बिजनेसमैन और इन्वेस्टर हैं। उनकी कुल संपत्ति 6.7 बिलियन डॉलर है और उन्होंने ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन को 32 बिलियन डॉलर से अधिक का योगदान दिया है। फोर्ब्स ने उन्हें उनकी कुल संपत्ति के प्रतिशत के आधार पर सबसे ‘उदार डोनेटर’ की मान्यता दी है। वह एक यहूदी परिवार में जन्मे थे और हंगरी के नाजी कब्जे से बच निकले और 1947 में ब्रिटेन चले गए। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अपनी पढ़ाई जारी रखी, जहां उन्होंने 1951 में फिलोसोफी की पढ़ाई की।
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी बयान दे चुके हैं। फरवरी 2023 में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में बोलते हुए जॉर्ज सोरोस ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयर बेचने के बारे में भी बात की थी। जॉर्ज सोरोस मोदी सरकार को लेकर भी पिछले कई सालों से आलोचक के रूप में सामने आए हैं। इसी वजह से भाजपा हमेशा से ही उनको निशाने पर लेती आई है। इसके ऊपर अब क्योंकि कांग्रेस के साथ भी जॉर्ज शोरूम के तार जोड़े जा रहे हैं, ऐसे में यह मुद्दा और ज्यादा बड़ा बन चुका है।
अब यह मुद्दा बड़ा तो बना ही है, इसके ऊपर क्योंकि ऐसे आरोप लग गए हैं कि जगदीप धनखड़ सरकार का समर्थन कर रहे हैं, उस वजह से विपक्ष आग बबूला है। अब इंडिया गठबंधन की तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि आर्टिकल 67 बी के तहत वे सभापति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटा सकते हैं। अब समझने वाली बात यह है कि भारत के उपराष्ट्रपति को हटाने की जो प्रक्रिया होती है, वो आर्टिकल 67बी में काफी विस्तार से बताई गई है।
अगर बिल्कुल सरल शब्दों में समझने की कोशिश करें तो जगदीप धनखड़ को तभी हटाया जा सकता है जब उच्च सदन यानी कि राज्यसभा के सभी सांसद की तरफ से एक प्रस्ताव पारित हो और लोकसभा के सदस्य भी उससे सहमत हो जाएं। बड़ी बात यह है यह प्रावधान तभी आ सकता है जब 14 दिनों का पहले नोटिस दिया गया हो। लेकिन इस समय राज्यसभा में नंबर गेम विपक्ष के साथ नहीं है। असल में 115 से ज्यादा सांसद तो राज्यसभा में एनडीए के बैठे हैं, ऐसे में कहां से जरूरी समर्थन जुटाया जाएगा, यही सबसे बड़ा सवाल है।
जानकार तो अब यहां तक मान रहे हैं कि विपक्ष को इस बात का एहसास है कि उनका अविश्वास प्रस्ताव पास नहीं होने वाला है। लेकिन इसे प्रेशर पॉलिटिक्स की तरह इस्तेमाल जरूर किया जा सकता है। विपक्ष इस बात को साबित करना चाहता है कि सभापति वर्तमान में सरकार के साथ ज्यादा करीब हैं और पक्षपात करते रहते हैं। अगर वो यह नेरेटिव सेट करने में कामयाब हो जाता है तो उस स्थिति में भी सरकार की किरकिरी होना तय है। अविश्वास प्रस्ताव के सारे नियम जानने के लिए यहां क्लिक करें