चेन्नई में जेएसी की बैठक आयोजित की जा रही है जिसमें केरल, तेलंगाना, पंजाब, कर्नाटक, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के नेता शामिल हुए। इस चर्चा के बीच कि 2026 के बाद होने वाला परिसीमन (Delimitation) दक्षिण भारतीय राज्यों को राजनीतिक रूप से कमजोर कर सकता है। स्टालिन ने स्पष्ट किया कि विपक्ष परिसीमन के खिलाफ नहीं है बल्कि एक अनुचित फॉर्मूले के खिलाफ है, जो उन राज्यों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा जिन्होंने जनसंख्या वृद्धि को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस आश्वासन पर संदेह जताया कि आगामी परिसीमन के कारण दक्षिण भारतीय राज्य संसदीय सीटें नहीं खोएंगे। उन्होंने इस टिप्पणी को अस्पष्ट बताया। निष्पक्ष परिसीमन पर संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) की बैठक को संबोधित करते हुए स्टालिन ने चेतावनी दी कि राज्यों को मणिपुर जैसा हश्र होने से बचाने के लिए प्रतिनिधित्व की लड़ाई महत्वपूर्ण है।
योजना के अनुसार परिसीमन करते हैं तो कम से कम आठ सीटें खो जाएंगी- स्टालिन
स्टालिन ने कहा, “मणिपुर दो साल से जल रहा है और इसके लोगों की मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है क्योंकि उनके पास अपनी आवाज उठाने के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।” स्टालिन ने तर्क दिया कि जनसंख्या के आकार के आधार पर पुनः आवंटन प्रगतिशील राज्यों के लिए सजा के समान होगा जबकि उत्तर-दक्षिण असमानताओं को गहरा करेगा। उन्होंने कहा, “अगर वे योजना के अनुसार परिसीमन करते हैं तो कम से कम आठ सीटें खो जाएंगी। प्रतिनिधित्व कम करना केवल संख्या के बारे में नहीं है बल्कि राज्यों के अस्तित्व के बारे में है।”
Delimitation पर विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्रियों संग मीटिंग कर रहे स्टालिन
स्टालिन बोले- हम परिसीमन के खिलाफ नहीं
मीटिंग में स्टालिन ने कहा कि हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं लेकिन यह निष्पक्ष परिसीमन होना चाहिए। उन्होंने कहा, “यहां एकत्र हुए प्रत्येक राज्य ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है लेकिन अगर हमारा प्रतिनिधित्व कम हो जाता है, तो यह युवाओं, लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए नीतियों को पीछे धकेल देगा। हमारी भाषा, संस्कृति और पहचान को नुकसान होगा। राजनीतिक शक्ति के बिना, हम अपनी ही जमीन पर गुलाम बन जाएंगे।”
स्टालिन ने अमित शाह की एक सार्वजनिक रैली में की गई टिप्पणी पर सवाल उठाया, जिसमें गृह मंत्री ने दावा किया था कि कोई भी राज्य अपनी सीटें नहीं खोएगा। इस आश्वासन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि शाह ने यह बयान एक सार्वजनिक रैली में दिया था, संसद में नहीं। स्टालिन ने कहा, “उनका बयान राजनीतिक रूप से अस्पष्ट था जिसका अर्थ है कि भाजपा अभी भी जनसंख्या आधारित सीट पुनर्वितरण पर जोर दे सकती है, जो तमिलनाडु के संसदीय प्रभाव को कम कर सकता है।”
जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र
वहीं, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि परिसीमन प्रक्रिया इस प्रकार से की जाए कि किसी भी राज्य को सदन में कुल सीटों की संख्या के संदर्भ में लोकसभा या राज्यसभा में अपने प्रतिनिधित्व में कोई कमी न झेलनी पड़े।
जेपीसी बैठक में सीपीआई (एम) नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा, “जब परिसीमन के बारे में सोचा गया था तब वर्तमान परिदृश्य की कल्पना नहीं की गई थी। आज दक्षिण में जनसंख्या घट रही है और उत्तर में बढ़ रही है इसलिए परिसीमन पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए, अन्यथा यह हमारे लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है।”
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परिसीमन सिर्फ़ बीजेपी की नीति नहीं- कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित
वहीं, परिसीमन मुद्दे पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, “परिसीमन सिर्फ़ बीजेपी की नीति नहीं है।ये देश की नीति है और हर राज्य को लगना चाहिए कि उनके साथ न्याय हुआ है। पहले सबको भरोसा दिलाओ फिर आगे बढ़ो,अब लगता है कि जनसंख्या नियंत्रण न करने वालों को देश की राजनीति पर अपना दबदबा बढ़ाने का फ़ायदा मिलेगा।”
परिसीमन पर बैठक में केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा अगर हमारा संसदीय प्रतिनिधित्व और कम हो जाता है जबकि राष्ट्र की संपत्ति में हमारा हिस्सा लगातार घटता जा रहा है। हम एक ऐसी स्थिति का सामना करेंगे जिसमें धन का हमारा उचित हिस्सा और उन्हें मांगने के लिए बाहरी राजनीतिक आवाज़ दोनों एक साथ कम हो जाएंगे।
परिसीमन के खिलाफ कई राज्य हुए एकजुट
विजयन ने कहा, “इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए हम, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पंजाब अब विरोध में एकजुट हो रहे हैं। हम तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के निमंत्रण पर एक संयुक्त कार्रवाई समिति बनाकर हमारे समन्वित प्रतिरोध की शुरुआत करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं। राजकोषीय नीतियों से लेकर भाषा नीतियों, सांस्कृतिक नीतियों और यहां तक कि प्रतिनिधित्व के निर्धारण तक केंद्र सरकार की कार्रवाइयां भारत की संघीय व्यवस्था और लोकतांत्रिक ढांचे को अस्थिर कर रही हैं। इसे पारित नहीं होने दिया जा सकता।”
बैठक में क्या बोले बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक
बैठक में ओडिशा के पूर्व सीएम और बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक ने कहा, “यह उन राज्यों में रहने वाले लोगों के लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक है, जिन्होंने जनसंख्या को नियंत्रित और स्थिर करने के लिए बहुत अच्छा काम किया है। जनसंख्या नियंत्रण हमारे देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एजेंडा है जबकि यह एक सकारात्मक राष्ट्रीय एजेंडे की दिशा में हमारा योगदान रहा है, एक मजबूत भारत के निर्माण की दिशा में।”
पूर्व सीएम ने आगे कहा, “केवल जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन उन राज्यों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप अपनी जनसंख्या वृद्धि दर को कम करने के लिए कड़ी मेहनत की है। हमारा यह मानना है कि हमारे देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि निकाय में सीटों की संख्या निर्धारित करने के लिए जनसंख्या ही एकमात्र मानदंड नहीं होनी चाहिए। मेरा सुझाव है कि केंद्र सरकार सभी दलों के साथ विस्तृत चर्चा करे ताकि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर किसी भी संदेह को दूर किया जा सके, जिसका हमारे लोकतंत्र पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स