देश की प्रमुख मुस्लिम राजनीतिक पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने अपने इतिहास में पहली बार एक नया मोड़ लेते हुए महिलाओं को राष्ट्रीय नेतृत्व में शामिल किया है — और वह भी एक गैर-मुस्लिम और दलित महिला के रूप में। यह ऐतिहासिक फैसला चेन्नई में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में सामने आया, जिसमें IUML ने राष्ट्रीय अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के साथ दो महिला नेताओं को राष्ट्रीय सहायक सचिव नियुक्त किया।

दोनों IUML की महिला विंग की सक्रिय सदस्य हैं

केरल की दलित नेता जयंती राजन और तमिलनाडु की फातिमा मुजफ्फर को पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में अहम जिम्मेदारी दी गई है। दोनों IUML की महिला विंग की सक्रिय सदस्य हैं और अब राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के एजेंडे का हिस्सा बन गई हैं।

IUML, जिसे पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान पार्टी के रूप में देखा जाता रहा है, इस कदम के जरिए खुद को एक प्रगतिशील और समावेशी दल के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस की सहयोगी इस पार्टी पर लंबे समय से महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर सवाल उठते रहे हैं, खासकर मुस्लिम समाज के भीतर व्याप्त रूढ़िवादिता को देखते हुए।

जयंती राजन की कहानी इस बदलाव की असली मिसाल है। वायनाड की रहने वाली 46 वर्षीय राजन ने 2010 के स्थानीय निकाय चुनावों में IUML के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उस समय स्थानीय निकायों में 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हुई थीं, जिससे IUML को समुदाय के बाहर की योग्य महिलाओं की तलाश करनी पड़ी।

राजन, जो पहले से सामाजिक कार्यों में सक्रिय थीं, ने एक NGO के जरिए महिलाओं के सशक्तिकरण पर काम किया था। उनका कहना है, “IUML के धर्मार्थ कार्यों से प्रभावित होकर मैं पार्टी से जुड़ी। मुझे कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि मैं पार्टी के लिए बाहरी हूं, बल्कि मुझे हर स्तर पर सहयोग मिला।”

मोदी सरकार का एक और एक्शन, पाकिस्तान से आने वाले माल को लेकर उठाया ये बड़ा कदम

पार्टी में अपनी जगह बनाने के बाद राजन ने स्थानीय निकाय चुनाव जीते, महिला लीग और दलित लीग के ज़रिए संगठन में लगातार सक्रिय रहीं और अब राष्ट्रीय सहायक सचिव के पद तक पहुँच गईं। वे कहती हैं, “IUML में अब कई शिक्षित और मुखर महिलाएं हैं, जो बदलाव का संकेत हैं।”

इससे पहले 2021 में, IUML की छात्र इकाई MSF की महिला शाखा ‘हरिता’ ने पार्टी के भीतर लैंगिक असमानता को लेकर विरोध दर्ज कराया था, जिसके बाद IUML ने सभी सहयोगी संगठनों में महिलाओं के लिए 20% आरक्षण तय किया।

हालांकि स्थानीय निकायों में महिलाओं को मौका मिलने लगा है, लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनावों में उनकी भागीदारी अभी भी सीमित है। 2021 में IUML ने 25 वर्षों में पहली बार कोझीकोड दक्षिण से एक महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा था, जो जीत नहीं सकीं।

फिर भी, अब जयंती राजन और फातिमा मुजफ्फर जैसे चेहरे IUML की छवि को बदलने का संकेत दे रहे हैं — यह महज एक राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि सामाजिक समावेशन की दिशा में एक मजबूत कदम है।