रोहित कुमार

धर्म और मानवीय आदर्श या नैतिकता को लेकर किसी साझी समझ की दरकार को अगर एक किनारे रख दें तो आधुनिकता की तरफ कदम बढ़ाते हुई दुनिया ने धर्म के एक से एक दिलचस्प और विवादित संस्करण देखे हैं। बीसवीं सदी के उत्तरार्ध से लेकर अब तक आपको एक ऐसा सिलसिला देखने को मिलेगा जिसमें एक के बाद एक आधुनिक किस्म के धर्मगुरु सामने आए और वे धर्म को उसके तमाम नैतिक और संयमित सरोकारों से अलगाते हुए एक नई तरह की सम्मोहनीय व्याख्या प्रस्तुत की। धर्म की यह समझ कितनी जानलेवा हो सकती है, इसका सबसे बड़ा तारीखी आख्यान 18 नवंबर, 1978 को अमेरिका में लिखा गया। अमेरिकी शहर जोंसटाउन में एक धर्मगुरु के कहने पर 909 लोगों ने सामूहिक तौर पर आत्महत्या कर ली।

यह धमर्गुरु था जिम जोंस। दक्षिण अमेरिका के गुयाना में एक जंगल के बीच जिम जोंस का ठिकाना था। यहीं पर जोंस ने ‘पीपल्स टेंपल’ नाम से एक समुदाय बनाया था। इस समुदाय में सिर्फ वही लोग शामिल हो सकते थे, जो जिम जोंस को मानते थे। बाहर की दुनिया से उनका कोई नाता नहीं था। 3,800 एकड़ में फैला जोंसटाउन धर्म और आस्था की एक ऐसी दुनिया थी, जहां कुछ भी सामान्य नहीं था। बावजूद इसके वहां का सम्मोहन हजारों लोगों को अपनी ओर खींच रहा था।

किसी को क्या खबर थी कि ईश्वर और धर्म को लेकर एक नई समझ के साथ आया यह व्यक्ति इतना घातक है कि यह लोगों को उनके जीवन से इतनी दूर ले जाना चाहता है, जहां से लौटकर कोई वापस नहीं आता। 18 नवंबर, 1978 वह दिन था जब जोंस ने दुनिया में सामूहिक हत्या का सबसे बड़ा और क्रूर वृतांत देखते-देखते अपने चाहने वालों के बीच रच डाला। बताया जाता है कि लोगों को मारने के लिए जोंस के कहने पर बहुत बड़े हौदे में अंगूर के स्वाद वाला शीतल पेय भरा गया था। इसमें सायनाइड और वेलियम जैसा खतरनाक जहर मिलाया गया था। सबसे पहले जहर एक बच्चे को पिलाया गया। इसके बाद मांओं ने पहले बच्चों को जहर दिया और फिर खुद जहर पिया।

इस दौरान जोंस लोगों को बार-बार यह समझा रहा था कि जिंदगी बहुत जालिम है और मुक्ति का एकमात्र मार्ग इससे छुटकारा है। इस दौरान कुछ लोग जोंस के निर्देश का पालन करने से पीछे हटने लगे। इनमें से कई लोगों को जोंस ने जहर पीने के लिए मनाया। जिन लोगों ने उनके लाख समझाने के बावजूद जहर पीने से इनकार किया, उनको जबरन जहरीला इंजेक्शन लगाया गया। 70 से ज्यादा लोगों के शरीर पर इंजेक्शन के निशान पाए गए थे। जहर पीने के बाद लोग बाहर आंगन में जमा हो गए। जोंस ने उनसे कहा कि मरते समय वो इज्जत से मरें।

उस दौरान जोंस ने 45 मिनट तक भाषण दिया था, जिसमें वो बार-बार कह रहा था कि यह जिंदगी बहुत जालिम है, इससे बेहतर है मर जाओ। कुछ ही मिनटों में 909 लोग मौत के आगोश में समा गए और मैदान में लाशें बिछ गईं। एफबीआइ को उस दिन की आॅडियो रिकॉर्डिंग प्राप्त हुई थी, जिसमें जोंस अपने भक्तों को डराता है। वो कहता है कि हमें सरकार से खतरा है। हमारे धर्म को, हमारी इस जगह को खतरा है। ये लोग पैराशूट से यहां आएंगे। बच्चों को भी नहीं छोड़ेंगे। हमें बहुत तड़पाएंगे। ये डर दिखाते हुए वह सामूहिक आत्महत्या का एलान करता है।

दिलचस्प है कि नौ सौ से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले इस विवादास्पद धर्मगुरु ने जहर नहीं पिया। जब उसकी लाश मिली, तो उसके सिर पर गोली का निशान था। माना गया कि उसने किसी से कहकर अपने ऊपर गोली चलवाई थी। इस दिल दहला देने वाली घटना पर बाद में कई वृत्तचित्र और फिल्में बनींं। अमेरिकी कोर्ट अब इसे सामूहिक आत्महत्या न मानते हुए हत्या मानता है, जिसका आरोपी वो जिम जोंस था, जो धर्म और आस्था की नई व्याख्या करते हुए लोगों को अवसाद मुक्ति या मोक्ष का एकमात्र तरीका खुदकुशी बताता था।