सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अरिजीत पसायत उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने आयकर अधिकारियों द्वारा उनके (पूर्व जज) द्वारा आय की कथित ‘गलत रिपोर्टिंग’ का मामला सामने आने के बाद सरकार की एमनेस्टी स्कीम का लाभ लिया। जस्टिस पसायत ब्लैक मनी पर गठित दो सदस्यीय एसआईटी के उपाध्यक्ष भी हैं। वहीं, पूर्व जज का कहना है कि तीन साल पुराने मामले को अभी क्यों उठाया जा रहा है जबकि यह मामला सुलझ गया है।
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कैबिनेट फैसले के बाद, जस्टिस पसायत को मई 2014 में एसआईटी में नियुक्त किया गया था, जिसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जज जस्टिस एम बी शाह कर रहे हैं। आठ साल बाद काले धन पर गठित एसआईटी ने कई स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की हैं, जो इसकी प्रगति की निगरानी करती है।
उन्हें आयकर विभाग की कटक इकाई से 2017-18 वित्त वर्ष में अपनी आय को तौर पर 1.06 करोड़ रुपए की गलत तरीके से ‘रिपोर्ट’ करने के आदेश के एक साल बाद, कि न्यायमूर्ति पसायत ने सरकार की एमनेस्टी स्कीम का लाभ उठाया। डायरेक्ट टैक्स ‘विवाद से विश्वास एक्ट 2020’ की शुरुआत के बाद शुरू की गई इस योजना को 2021 तक बढ़ा दिया गया था और इसे वीएसवी योजना कहा जाता है। इसके सेक्शन 6 में विस्तार से बताया गया है कि जो लोग इसका लाभ उठाते हैं उन्हें “अपराध” के संबंध में कार्यवाही से छूट मिलती है।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि जस्टिस पसायत ने वीएसवी योजना के तहत 38.28 लाख रु के ‘विवादित’ टैक्स के लिए 37.90 लाख रु का भुगतान किया। इस प्रावधान के अंतर्गत, जस्टिस न्यायमूर्ति पसायत के ‘विवादित’ टैक्स का कैल्कुलेशन इस फॉर्मुले के आधार किया गया- इनकम (31.94 लाख रु) में जोड़े गए अतिरिक्त टैक्स का 30% ,15% अतिरिक्त सरचार्ज (4.79 लाख रु) और 3% शिक्षा और उच्च शिक्षा सेस (1.10 लाख रु) और सेक्शन 234 के तहत ब्याज (43,616 रु)।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस बारे में पूछे जाने पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पसायत ने इस बात की पुष्टि की और कहा कि उन्होंने नवंबर 2020 में वीएसवी योजना का लाभ उठाया और 37.90 लाख रुपये का भुगतान किया था। उन्होंने आगे कहा, ““मुझे नहीं मालूम कि 2019 का एक निजी इनकम टैक्स ऑर्डर कैसे लीक हो गया? यह किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया हो सकता है मेरे द्वारा पारित किसी आदेश से आहत हुआ हो।” उन्होंने कहा, “मैंने आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, लेकिन तब मुझे वीएसवी स्कीम के जरिए टैक्स का भुगतान करने और मामले को खत्म करने की सलाह दी गई थी। लेकिन सुलझे हुए मामले को अभी क्यों उठाया जा रहा है?”
आदेश के मुताबिक, वर्ष 2017-18 के लिए जस्टिस पसायत ने वेतन से अपनी आय (एसआईटी पर अपनी स्थिति के लिए सरकार से) 26.85 लाख रु और मध्यस्थता और विवाद समाधान कार्य से 3.66 करोड़ रु की आय घोषित की थी। लेकिन, इस आदेश में कहा गया है, उन्होंने इस राशि को “अन्य स्रोतों से आय” के तहत घोषित किया था, न कि “पेशेवर आय” के रूप में।