भारतीय वैज्ञानिक ऐतिहासिक गगनयान मिशन की तैयारियों में जोर-शोर से लगे हैं। गगनयान मिशन के तहत बहुप्रतीक्षित पहली मानवरहित उड़ान के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। मानव-चालित प्रक्षेपण यान की सभी प्रणोदन प्रणालियां श्रीहरिकोटा पहुंच चुकी हैं। मिशन के लिए चालक दल की बचाव प्रणाली भी प्रक्षेपण परिसर में पहुंच चुकी है और कक्षीय माड्यूल प्रणालियां एकीकरण के अंतिम चरण में हैं। शुक्रवार को गगनयान से वापस आने वाले यात्रियों को सुरक्षित समुद्र से बाहर निकालने का परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया।
जितेंद्र सिंह ने संसद में दी जानकारी
अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह की ओर से संसद में दिए गए एक उत्तर के अनुसार पहला मानवरहित मिशन 2024 के अंत तक लक्षित है। इसके अलावा, मानवरहित मिशन क्रमश: 2025 की तीसरी तिमाही और 2026 की पहली तिमाही के लिए लक्षित हैं। अंतरिक्ष यात्रियों ने अपने प्रशिक्षण के भारत चरण के तीन सेमेस्टर में से दो को भी पूरा कर लिया है।
गगनयान रिकवरी आपरेशन परीक्षण पूरा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि उन्होंने भारतीय नौसेना से साथ मिलकर शुक्रवार को ‘वेल डेक’ रिकवरी परीक्षा करके गगनयान रिकवरी आपरेशन के परीक्षण पूरे किए। ये परीक्षण विशाखापत्तनम के तट पर ‘वेल डेक’ जहाज का उपयोग करके पूर्वी नौसेना कमान द्वारा किए गए। जहाज के ‘वेल डेक’ को पानी से भरा जा सकता है ताकि नावों, लैंडिंग क्राफ्ट, रिकवर किए गए यान को जहाज के अंदर डाक करने के लिए अंदर ले जाया जा सके।
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अंतरिक्ष में अपना मिशन पूरा करने के बाद गगनयान का ‘क्रू माड्यूल’ समुद्र में उतरेगा। एक बार ‘क्रू माड्यूल’ समुद्र में उतर गया, तो कम से कम समय में, न्यूनतम असुविधा के साथ अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर निकालना पहली प्राथमिकता होगी। इसरो की वेबसाइट के अनुसार ‘क्रू रिकवरी’ के पसंदीदा विकल्पों में से एक यह है कि ‘क्रू माड्यूल’ को यात्रियों के साथ जहाज के ‘वेल डेक’ के अंदर ले जाया जाए, जहां भारतीय अंतरिक्ष यात्री आराम से ‘क्रू माड्यूल’ से बाहर आ सके।
रिकवरी परीक्षण की शृंखला का हिस्सा
‘वेल डेक रिकवरी’ के लिए परीक्षण पिछले दिनों द्रव्यमान और आकार के हिसाब से ‘क्रू माड्यूल माक-अप’ का इस्तेमाल करके किए गए। परीक्षण के दौरान, भारतीय नौसेना और इसरो द्वारा ‘क्रू माड्यूल’ की ‘वेल डेक रिकवरी’ के लिए संचालन का क्रम चलाया गया। इस क्रम में ‘रिकवरी बाय’ को जोड़ना, टो करना, ‘वेल डेक शिप’ में प्रवेश करना, फिक्सचर पर सीएम की स्थिति बनाना और वेल डेक से पानी निकालना शामिल है।
नौसेना और इसरो के परीक्षण से आपरेशन के संपूर्ण क्रम, जमीनी हकीकत की पुष्टि हुई। इससे मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को ठीक करने में मदद मिलेगी। ये परीक्षण असल में नौसेना और इसरो द्वारा हर तरह की स्थितियों में ‘रिकवरी आपरेशन’ के लिए एसओपी को अंतिम रूप देने के लिए किए जा रहे रिकवरी परीक्षण की शृंखला का हिस्सा हैं।