Chandrayaan-2 Moon : ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ के चांद की सतह को छूने से चंद मिनटों पहले जमीनी स्टेशन से उसका संपर्क टूट गया। चंद्रयान-2 मिशन से करीब से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने से कहा, ‘‘लैंडर से कोई संपर्क नहीं है। यह लगभग समाप्त हो गया है। कोई उम्मीद नहीं है। लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना बहुत ही मुश्किल है।’’ भले ही लैंडर खो गया हो लेकिन इसरो की हर तरफ तारीफ हो रही है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने इसरो की तारीफ करते हुए एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा ”चंद्रयान-2 मिशन के साथ इसरो की समूची टीम ने असाधारण प्रतिबद्धता और साहस का प्रदर्शन किया है। देश को इसरो पर गर्व है।’ उन्होंने कहा, ‘हम सभी सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करते हैं।’
चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ भारत का पहला मिशन था जो स्वदेशी तकनीक की मदद से चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया था। लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ.विक्रम ए साराभाई पर दिया गया थ। विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था और इसे एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करना था। लैंडर विक्रम के भीतर 27 किलोग्राम वजनी रोवर ‘प्रज्ञान’ था। सौर ऊर्जा से चलने वाले प्रज्ञान को उतरने के स्थान से 500 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया गया था। प्रज्ञान को चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव पर जाना था जहां रोशनी नहीं है। ये इलाका अंधकार में डूबा रहता है, लेकिन यहां पानी होने की संभावना है। प्रज्ञान कि मदद से आईएसआरओ वहां पानी है या नहीं इसका पता लगाने वाला था। इसके अलावा ये भी पता करेगा कि वहां पर कोई मिनरल वगैरह भी हैं क्या?

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नायर ने कहा कि कम से कम 10 ऐसे बिंदु हैं, जहां गलती गलती हो सकती थी, हालांकि वास्तव में गलती कहां हुई इसके बारे में अभी अनुमान लगाना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि अभी तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर उन्हें भरोसा है कि इसरो गलती कहां हुई इसकी पहचान कर लेगा।
नायर ने हालांकि कहा कि लैंडर से संपर्क टूट जाना बेहद निराशाजनक है और उन्होंने इसकी कल्पना कभी नहीं की थी। उन्होंने कहा, ‘‘यह हम सभी के लिए निराशाजनक है। पूरे देश को इससे उम्मीद थे।’’ पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘जब 2.1 किलोमीटर तक दूरी बची थी, उस समय अभियान बेहद जटिल था। हममें से आधे लोग हाथ थामकर बैठे थे क्योंकि कई यंत्रों और थ्रस्टर को सही तरह से काम करना था। तभी अंतिम उद्देश्य को पाया जा सकता था।’’
इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने ऑर्बिट सही है चंद्रमा की कक्षा में सामान्य रूप से काम कर रहा है। वहीं चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने सहित कई अन्य उद्देश्य थे। उन्होंने कहा, ‘‘आर्बिटर अंतरिक्ष में पहुंच गया है और उसे मानचित्रण का काम अच्छे से करना चाहिए।’’ करीब एक दशक पहले चंद्रयान-1 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद चंद्रयान-2 मिशन शुरू किया गया, जिसमें एक आर्बिटर लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल था।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, ''यह हमारे वैज्ञानिकों की उल्लेखनीय क्षमता, ख्याति और हर भारतीय के दिल में उनके लिए खास जगह होने का प्रमाण है।’’ उन्होंने इसरो की अतीत की सफलताओं का उल्लेख किया और कहा कि हर रुकावट भविष्य की सफलता से पहले का एक पड़ाव भर है।
इसरो के वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं की टीम की प्रशंसा करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि यह सफर थोड़ा लंबा जरूर हुआ है लेकिन आने वाले कल में सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा, 'हम इसरो और इससे जुड़े पुरुषों एवं महिलाओं के ऋणी हैं। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में अग्रणी देशों की कतार में शामिल कर दिया है और आगे की पीढ़ियों को प्रेरित किया है कि वे सितारों तक पहुंचे।'
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने भी इसरो की तारीफ की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा "'चंद्रयान-2 मिशन के साथ इसरो की समूची टीम ने असाधारण प्रतिबद्धता और साहस का प्रदर्शन किया है। देश को इसरो पर गर्व है।" उन्होंने कहा, ''हम सभी सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करते हैं।"
कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को इसरो के चंद्र मिशन चंद्रयान-2 की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि देश इसरो के वैज्ञानिकों के साथ खड़ा है। कांग्रेस पार्टी ने कहा, “तनाव की इस घड़ी में इसरो की पूरी टीम के साथ देश के लोग खड़े हैं। आपके कठिन परिश्रम और प्रतिबद्धता ने देश को गौरवान्वित किया है।”
मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा, ‘‘मां भारती का सिर ऊंचा हो, इसके लिये आप पूरा जीवन खपा देते हैं। मैं कल रात की आपकी मन:स्थिति को समझता हू। आपकी आंखें बहुत कुछ कह रही थीं। आपके चेहरे की उदासी मैं पढ़ पा रहा था, इसलिये मैं आपके बीच ज्यादा देर नहीं नहीं रुका।’’
पीएम ने आईएसआरओ के वैज्ञानिकों से कहा, ‘‘आप मक्खन पर लकीर करने वाले लोग नहीं, बल्कि पत्थर पर लकीर करने वाले लोग हैं। अतीत में कई ऐसे अवसर आए हैं जब रुकावटों को पीछे छोड़ कर हमने वापसी की है।’’
प्रज्ञान को चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव पर जाना था जहां रोशनी नहीं है। ये इलाका अंधकार में डूबा रहता है, लेकिन यहां पानी होने की संभावना है। प्रज्ञान कि मदद से आईएसआरओ वहां पानी है या नहीं इसका पता लगाने वाला था। इसके अलावा ये भी पता करेगा कि वहां पर कोई मिनरल वगैरह भी हैं क्या?
विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था और इसे एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करना था। लैंडर विक्रम के भीतर 27 किलोग्राम वजनी रोवर ‘प्रज्ञान’ था। सौर ऊर्जा से चलने वाले प्रज्ञान को उतरने के स्थान से 500 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया गया था।
एक वरिष्ठ इसरो अधिकारी ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने ‘विक्रम’ लैंडर और उसमें मौजूद ‘प्रज्ञान’ रोवर को संभवत: खो दिया है। इससे पहले लैंडर जब चंद्रमा की सतह के नजदीक जा रहा था तभी निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग से चंद मिनटों पहले उसका पृथ्वी स्थित नियंत्रण केंद्र से सपंर्क टूट गया।
प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से कहा, ‘‘हर मुश्किल, हर संघर्ष, हर कठिनाई, हमें कुछ नया सिखाकर जाती है, कुछ नए आविष्कार, नई टेक्नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है और इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती हैं। ज्ञान का अगर सबसे बड़ा शिक्षक कोई है तो वो विज्ञान है।’’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने कहा, ‘‘विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा। इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया। आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।’’
चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ भारत का पहला मिशन था जो स्वदेशी तकनीक की मदद से चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया था। लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ.विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था।
इसरो के मिशन कंट्रोल सेंटर से प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा ‘‘विज्ञान में विफलता नहीं होती, केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें सबक लेना है, सीखना है। हम निश्चित रूप से सफल होंगे। कामयाबी हमारे साथ होगी।’’ मोदी ने कहा, "हम निश्चित रूप से सफल होंगे। इस मिशन के अगले प्रयास में भी और इसके बाद के हर प्रयास में भी कामयाबी हमारे साथ होगी।’’
एक वरिष्ठ इसरो अधिकारी ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने ‘विक्रम’ लैंडर और उसमें मौजूद ‘प्रज्ञान’ रोवर को संभवत: खो दिया है। इससे पहले लैंडर जब चंद्रमा की सतह के नजदीक जा रहा था तभी निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग से चंद मिनटों पहले उसका पृथ्वी स्थित नियंत्रण केंद्र से सपंर्क टूट गया। चंद्रयान-2 मिशन से करीब से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने से कहा, ‘‘लैंडर से कोई संपर्क नहीं है। यह लगभग समाप्त हो गया है। कोई उम्मीद नहीं है। लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना बहुत ही मुश्किल है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा "स्वास्थ्य सेवा से लेकर अन्य क्षेत्रों में हमारे वैज्ञानिकों का महतवपूर्ण योगदान है। जहां तक हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रमों का सवाल है, तो सर्वश्रेष्ठ आना बाकी है। कई नये क्षेत्रों में खोज करने के अवसर हैं। मैं अपने वैज्ञानिकों से कहना चाहता हूं कि भारत आपके साथ है। आप विशिष्ठ पेशेवर हैं जो राष्ट्र की प्रगति में योगदान दे रहे हैं।’’
पीएम ने कहा, ‘‘हम अपने वैज्ञानिकों के साथ एकजुटता से खड़े हैं। हर भारतीय को अपने वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष कार्यक्रम पर गर्व है। हमारे कार्यक्रम ने न केवल हमारे नागरिकों बल्कि दुनिया के अन्य देशों की बेहतरी के लिये काम किया है।"
पीएम ने वैज्ञानिकों से कहा, ‘‘आपने पल-पल परिश्रम के साथ इसे आगे बढ़ाया था। आज भले ही कुछ रूकावटें आई हो, लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है बल्कि और मजबूत हुआ है। आज हमारे रास्ते में आखिरी कदम पर रूकावट आई है लेकिन हम अपनी मंजिल से डिगे नहीं हैं। ’’ उन्होंने कहा कि चंद्रमा तक पहुंचने और उसे गले लगाने की हमारी इच्छा शक्ति और प्रबल हुई है।