‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय इसरो से संपर्क टूट गया था लेकिन अब एक बार फिर विक्रम से संपर्क जुड़ने की उम्मीद जग गई है। दरअसल, इसरो प्रमुख के. शिवन ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए बताया कि विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है। ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली है। हालांकि, उससे अभी कोई संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है।
इसरो के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर विक्रम की ‘हार्ड लैंडिंग’ ने दोबारा संपर्क कायम करने को मुश्किल बना दिया है, क्योंकि यह सहजता से और अपने चार पैरों के सहारे नहीं उतरा होगा। उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह से टकराने के चलते लगे झटकों के चलते लैंडर को नुकसान पहुंचा होगा।उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह से टकराने के चलते लगे झटकों के चलते लैंडर को नुकसान पहुंचा होगा।
विक्रम लैंडर का पता लगने से एक बार फिस से उम्मीद जग गई है और उससे संपर्क स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। बकौल शिवन, हमें लैंडर ‘विक्रम’ के चंद्रमा की सतह पर होने का पता चला है। ’’ ‘हार्ड लैंंडिंग’ की वजह से उसे नुकसान पहुंचने के सवाल पर सिवन ने कहा, ‘‘ हमें इस बारे में अभी कुछ नहीं पता।’’ उन्होंने कहा कि ‘विक्रम’ मॉड्यूल से संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी हैं।गौरलतब है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंंडिंग’ का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था।
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इसरो द्वारा रविवार को चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल की स्थिति की जानकारी देना ‘‘नि:संदेह साबित करता है’’ कि ऑर्बिटर सही से काम कर रहा है। अंतरिक्ष विशेषज्ञ अजय लेले ने यह जानकारी दी। रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान के वरिष्ठ शोधार्थी लेले ने यह भी कहा कि यह महज वक्त की बात थी कि ऑर्बिटर विक्रम को कब तक खोज पाता है लेकिन अब सवाल यह है कि लैंडर किस स्थिति में है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने कहा कि गगनयान मिशन 2022 में शुरू होगा।बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय में पृथ्वी अवलोकन अनुप्रयोग एवं आपदा प्रबंधन कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक पी जी दिवाकर ने कहा कि चंद्रयान और गगनयान दोनों के अलग-अलग लक्ष्य एवं आयाम हैं। दिवाकर अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिक सचिव भी रहे हैं।
इसरो चीफ के शिवन ने कहा कि , ‘‘हम वास्तव में बेहद खुश हैं (प्रधानमंत्री के संबोधन के साथ-साथ पूरे देश के इसरो के साथ खड़े होने से)। इसने हमारे लोगों का मनोबल बढ़ाया है।’’ इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन ने सिवन और इसरो टीम को प्रेरित करने, प्रोत्साहित करने, आश्वस्त करने और पूरी तरह से उनका समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री की प्रशंसा की।
इसरो के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर विक्रम की 'हार्ड लैंडिंग' ने दोबारा संपर्क कायम करने को मुश्किल बना दिया है, क्योंकि यह सहजता से और अपने चार पैरों के सहारे नहीं उतरा होगा। उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह से टकराने के चलते लगे झटकों के चलते लैंडर को नुकसान पहुंचा होगा।उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह से टकराने के चलते लगे झटकों के चलते लैंडर को नुकसान पहुंचा होगा।
12 दिनों तक चांद पर दिन रहेगा। एक लूनर डे धरती के 14 दिनों के बराबर होता है, जिसमें से दो दिन निकल गए हैं। इन 12 दिनों के बाद चांद पर 14 दिनों तक रात रहेगी। अंधेरा होने की वजह से वैज्ञानिकों को लैंडर से संपर्क करने में परेशानी आ सकती है।
‘हार्ड लैंंडिंग’ की वजह से उसे नुकसान पहुंचने के सवाल पर सिवन ने कहा, ‘‘ हमें इस बारे में अभी कुछ नहीं पता।’’ उन्होंने कहा कि ‘विक्रम’ मॉड्यूल से संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी हैं।गौरलतब है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंंडिंग’ का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था।
लैंडर को शुक्रवार देर रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है।
लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से संपर्क खो दिया था।इसरो 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा पिछले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में की थी। इसके अलावा इसरो अगले साल तक भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 भी शुरू करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन का इसरो के महत्त्वकांक्षी मानवयुक्त मिशन गगनयान पर ‘‘बिलकुल भी प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’ गगनयान मिशन 2022 में शुरू होगा।बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय में पृथ्वी अवलोकन अनुप्रयोग एवं आपदा प्रबंधन कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक पी जी दिवाकर ने कहा कि चंद्रयान और गगनयान दोनों के अलग-अलग लक्ष्य एवं आयाम हैं। दिवाकर अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिक सचिव भी रहे हैं।
‘विक्रम’ अगर ऐतिहासिक लैंंडिंग में सफल हो जाता तो भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंंडिंग करा चुके अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो जाता।ऑर्बिटर के चंद्रमा के चारों और अपनी तय कक्षा में स्थापित होने का जिक्र करते हुए इसरो ने कहा, ‘‘यह अपने आठ अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से ध्रुवीय क्षेत्र में खनिजों और जल अणुओं के विकास और मानचित्रण के जरिये चंद्रमा को लेकर हमारी समझ को और समृद्ध करेगा।’’ उसने कहा, ‘‘ऑर्बिटर का कैमरा अब तक किसी भी चंद्र मिशन में इस्तेमाल हुआ सबसे ज्यादा विभेदन (रेजलूशन) वाला कैमरा (0.3एम) है और इससे उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें मिलेंगी जो वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिये बेहद उपयोगी होंगी।’’ इसरो ने कहा कि सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन की वजह से इसका जीवनकाल भी पूर्व नियोजित एक वर्ष के बजाए लगभग सात वर्ष सुनिश्चित है। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ठीक है और चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को कहा था कि अब तक चंद्रयान-2 मिशन के लक्ष्यों को 90 से 95 फीसद तक हासिल किया जा चुका है और लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद इससे चंद्र विज्ञान में योगदान जारी रहेगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी कहा कि सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन से आॅर्बिटर का सात साल लंबा जीवन सुनिश्चित है, जबकि पूर्व में इसके जीवनकाल को एक वर्ष रखने की योजना थी। इसरो ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए बताया, ‘‘विक्रम लैंडर ने अपनी 35 किलोमीटर की कक्षा से सतह से ठीक दो किलोमीटर नीचे उतरने में प्रक्षेपण का तय योजना के मुताबिक पालन किया। इस बिंदु तक उसकी सभी प्रणालियां और तंत्र ठीक काम कर रहे थे और इससे लैंडर में इस्तेमाल वेरियेबल थ्रस्ट प्रोपल्शन तकनीक समेत कई नई तकनीकें साबित हुईं।’’इसमें कहा गया कि सफलता का पैमाना मिशन के हर चरण के लिये परिभाषित था और अब तक मिशन के 90 से 95 फीसद लक्ष्य हासिल कर लिये गए हैं और ये चंद्र विज्ञान के क्षेत्र में योगदान जारी रखेंगे भले ही लैंडर से हमारा संपर्क टूट गया है।
इसरो प्रमुख सिवन ने आशंका जताई की यह हार्ड लैंडिग रही होगी। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि ‘हार्ड लैंडिंग’ की वजह से ‘विक्रम’ मॉड्यूल को नुकसान पहुंचा या नहीं।
इसरो प्रमुख के मुताबिक चंद्रयान 2 मिशन के लैंडर विक्रम का पता चल गया है। आर्बिटर ने थर्मल कैमरे से तस्वीर भी खीचीं है। हालांकि संपर्क अभी भी दोबारा से स्थापित नहीं हो पाया है लेकिन इससे दोबारा संचार स्थापित करने की कोशिश की जा रही है।