कश्मीर में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी नवेद याकूब ने कई बातें उगली हैं। उसके लाई डिटेक्टर टेस्ट से खुलासा हुआ है कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आइएसआइ के अधिकारियों से मिला था।

राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) के अधिकारियों के मुताबिक पूछताछ में नवेद ने कबूला कि वह प्रशिक्षण के दौरान आइएसआइ के बड़े अधिकारियों से मिला था। इनमें अबू तल्हा भी शामिल है। हालांकि इससे पहले वह पूछताछ में कश्मीर में अपने संपर्कों को लेकर झूठ बोल रहा था।

यह पूछे जाने पर कि लाई डिटेक्टर टेस्ट में निकली बातें कितनी सच होगीं, जांच एंजसी के अधिकारियों ने कहा कि नवेद पाकिस्तान में अपने घर-परिवार, लश्करे तैयबा और उसके आतंकियों के बारे में सही-सही जानकारी दे रहा है। अपने पते का जिक्र वह पहले कर चुका है और उसके सबूत मिल चुके हैं। परीक्षण के दौरान सवालों में इसे दोहराया गया और सौ फीसद एक ही जबाब मिला।
हालांकि पॉलीग्राफ टेस्ट की अंतिम रिपोर्ट का अब अधिकारियों को इंतजार है। इसके बाद एनआइए और खुफिया एजंसियों के अधिकारी उससे नए सिरे से पूछताछ करेंगे और संभवत: 24 अगस्त को अदालत को इसकी जानकारी देंगे। लाई डिटेक्टर टेस्ट से साफ हो गया है कि वह पाकिस्तान के फैसलाबाद का रहने वाला है और लश्करे तैयबा के आतंकी अबु कासिम ने उसे प्रशिक्षण दिया था। कश्मीर में पकड़े जाने के दो महीने पहले उसने तीन अन्य आतंकियों के साथ सीमा पार की थी। लेकिन कश्मीर में गुजारे दो महीने के बारे में वह कई बातें छुपा रहा है।
नवेद ने बताया कि उसे लश्कर-ए-तैयबा ने ट्रेनिंग दी है। उसने बताया कि वह एक फिदायीन गुट का हिस्सा था।
पॉलीग्राफ परीक्षण पूरा होने के बाद नवेद को एक विशेष विमान से श्रीनगर ले जाया गया और तत्काल एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया। एनआइए ने जहां नवेद को कश्मीर लेकर आने के बारे में कुछ नहीं बताया, वहीं सूत्रों ने कहा कि उसके पहुंचने के कुछ समय बाद ही दक्षिण कश्मीर में कुछ जगहों पर छापे मारे गए।
एनआइए के सूत्रों ने कहा कि समूह के सदस्यों की संख्या और भारत में घुसने के लिए अपनाए गए मार्ग के बारे में नवेद विरोधाभासी बयान दे रहा है।
एनआइए ने लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों के स्कैच भी जारी किए हैं। इनके बारे में दावा किया गया है कि ये नवेद के साथ जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग सेक्टर में घुस आए थे। एजंसी ने सूचना देकर इन्हें गिरफ्तार कराने में मदद करने वाले शख्स को पांच लाख रुपए का नगद इनाम देने की भी घोषणा की है। दोनों की पहचान जरगान उर्फ मोहम्मद भाई और अबू ओकाशा के तौर पर की गई है।