हरियाणा सरकार ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी वाई पूरन कुमार की कथित आत्महत्या को लेकर हुए विवाद के बीच छुट्टी पर भेजे जाने के दो महीने बाद आईपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर को रविवार को पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद से कार्यमुक्त कर दिया। हालांकि, सरकार ने घोषणा की कि 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह अगले आदेश तक कार्यवाहक डीजीपी के रूप में बने रहेंगे।

1990 बैच के आईपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर के पास हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन का चार्ज रहेगा। कपूर 31 अक्टूबर 2026 को रिटायर होंगे। उनके छुट्टी पर जाने के बाद सिंह ने कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कार्यभार संभाला और वे 31 दिसंबर को अपनी सेवा से रिटायर होंगे। सिंह हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डायरेक्टर जनरल और मधुबन स्थित फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के डायरेक्टर के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को निभाते रहेंगे।

कपूर को अगस्त 2023 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के शासनकाल के दौरान डीजीपी नियुक्त किया गया था, जिसमें उन्होंने 1989 बैच के दो आईपीएस अधिकारियों मोहम्मद अखिल और आरसी मिश्रा को दरकिनार कर दिया था।

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कपूर को छुट्टी पर भेजा गया था

7 अक्टूबर को मृत पाए गए हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की कथित आत्महत्या के मामले में नाम सामने आने के बाद कपूर को छुट्टी पर भेज दिया गया था। मृतक अधिकारी के परिवार द्वारा कार्रवाई की मांग के बाद, तत्कालीन रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया को उनके पद से हटा दिया गया। इसके बाद चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की और मामले की जांच के लिए आईजीपी पुष्पेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया।

हरियाणा पुलिस विभाग के अधिकारियों के अनुसार, ओपी सिंह ने पदभार संभालने के महज दो महीनों में दो बड़े अभियान शुरू किए। इसमें पहला तो ऑपरेशन ट्रैकडाउन और दूसरा ऑपरेशन हॉटस्पॉट डोमिनेशन है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमारा ध्यान केवल अपराध रोकने पर था। यानी आदतन अपराधियों, हथियार आपूर्तिकर्ताओं और आपराधिक ठिकानों पर अहम कार्रवाई करना। इस अभियान ने ड्रग नेटवर्क को भी करारा झटका दिया।”

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