केंद्र सरकार ने उत्‍तराखंड कैडर की आईपीएस अंजू गुप्‍ता को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में एक्‍सटेंशन देने से इनकार कर दिया है। सरकार ने कहा है कि खुफिया एजेंसी पहले से ज्‍वाइंट-सेक्रट्री लेवल पर कई अधिकारी पोस्‍टेड हैं। गुप्‍ता पहले उत्‍तर प्रदेश कैडर में थीं। वे 1992 के बाबरी मस्जिद केस के स्‍टार गवाहों में से हैं और वेटरन बीजेपी नेता लाल कृष्‍ण आडवाणी के खिलाफ रायबरेली की विशेष कोर्ट में 2010 में गवाही दी थी। गुप्‍ता ने कहा था कि आडवाणी ने भीड़ द्वारा मस्जिद गिराए जाने से पहले अयोध्‍या में ‘भड़काऊ भाषण’ दिया था। गुप्‍ता ने कथित तौर पर अदालत में कहा था, ”वह जोश में दिखे, उनके भड़काऊ भाषण को, जिन्‍हें उनकी पार्टी के अन्‍य सहयोगियों ने भी सराहा, ने कारसेवकों में जोश भरा।’ उस समय अंजू फैजाबाद में असिस्‍टेंट सुप्रिटेंडेंट ऑफ पुलिस के पद पर तैनात थीं और 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्‍या में वीवीआईपी की सुरक्षा की इंचार्ज थीं। गुप्‍ता ने ऐसी ही गवाही सीबीआई और लिब्रहान आयोग के सामने भी दी थी।

1990 बैच की आईपीएस अधिकारी ने 2000 में बंटवारे के बाद उत्‍तराखंड कैडर चुना था क्‍योंकि उनके पति शफी अहसान रिजवी (1989 बैच के आईपीएस) ने यही कैडर चुना था। रिजवी वर्तमान में इंटेलिजेंस ब्‍यूरो (आईबी) में ज्‍वाइंट डायरेक्‍टर हैं और इकॉनमिक इंटेलिजेंस के प्रमुख हैं। गुप्‍ता 2009 से ही केंद्रीय डेप्‍युटेशन पर रॉ में तैनात हैं। उन्‍होंने संयुक्‍त राष्‍ट्र में भी काम किया है। अपनी गवाही में क‍थित तौर पर गुप्‍ता ने कहा था कि आडवाणी ने कहा था कि ‘मंदिर उसी 2.7 एकड़े पर बनेगा।”

अदालत में गुप्‍ता ने कहा था, ‘मुझसे उन्‍होंने (आडवाणी) कहा था कि यूपी सीएम कल्‍याण सिंह, फैजाबाद के डीएम व एसएसपी से फोन पर बात करने का प्रबंध किया जाए।” गुप्‍ता ने यह भी कहा कि मेसेज मिलने के बाद राम कथा कुंज में डीएम व एसएसपी आए थे। गुप्‍ता के अनुसार, आडवाणी ने विवादित स्‍थल के करीब जाने की इच्‍छा जताई थी। उन्‍होंने कहा, ”जब उन्‍हें बताया गया कि लोग गुंबदों पर चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं और कुछ लोग गिरकर चोटिल हुए हैं, तो उन्‍होंने वहां जाकर लोगों से नीचे उतरने की अपील करने की इच्‍छा जताई थी।”

गुप्‍ता ने कहा कि बाद में आडवाणी को बताया गया कि वह वहां न जाएं क्‍योंकि अगर उन्‍हें कुछ हुआ तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।