आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को ED जांच के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार तक की राहत दी। वहीं सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के मामले में उन्हें जेल के रिमांड तक जेल में ही रहना होगा। चिदंबरम के इस पड़ाव तक पहुंचने में कई मोड़ देखने को मिले। मसलन, जैसे ही हाईकोर्ट से उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज हुई, उनके वकील सिब्बल तुरंत सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। मगर यहां देरी की वजह से उन्हें निराशा हाथ लगी। इसी दौरान चिदंबरम की सीबीआई ने तलाश शुरू कर दी और वह भूमिगत हो गए। लेकिन, जब मामला मीडिया में उछलने लगा और सवाल पूछे जाने लगे तब चिदंबरम का खुद सामने आना मजबूर बन गया।
गुरुवार को इंडियन एक्सप्रेस के कॉलम “डेल्ही कॉन्फिडेंशल” के मुताबिक बुधवार को पी चिदंबरम ने जो कांग्रेस हेडक्वार्टर में प्रेस-कॉन्फ्रेंस किया था उसकी योजना पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बनायी थी। जैसे ही लोगों के बीच चिदंबरम के ‘फरार’ होने का नैरेटिव तैयार होने लगा, तब कांग्रेस के नेताओं के बीच मीडिया के सामने आने की बात चलने लगी। पार्टी के बड़े नेताओं का मानना था कि चिदंबरम के इस कदम से लोगों के बीच गलत संदेश जाएगा। लिहाजा, कांग्रेस के कानूनी जानकारी रखने वाले नेता अहमद पटेल के घर पर मिले और मामले की समीक्षा की। यहीं पर फैसला हुआ कि वह मीडिया के सामने आएंगे और अपनी गिरफ्तारी देंगे।
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चिदंबरम मीडिया में आए भी और अपनी बात भी रखी। उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उनके सामने आजादी और जिदंगी चुनने का विकल्प मौजूद है। लेकिन, वह आजादी को चुनेंगे। हालांकि, जब प्रेस-कॉन्फ्रेंस हो रही थी तब तक उन्हें गिरफ्तारी की पहल सीबीआई की तरफ से कांग्रेस मुख्यालय पर नहीं हुई। जैसे ही चिदंबरम जोरबाग स्थिति अपने आवास पर पहुंचे सीबीआई की टीम ने उनके कंपाउंड के भीतर दीवार फांदकर पहुंची और उन्हें गिरफ्तार किया। फिलहाल, चिदंबरम सीबीआई की रिमांड पर हैं। लेकिन दूसरी तरफ इसी मामले में ED की कार्रवाही से उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिली है।
ED जांच के मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में बहस पूरी होने के बाद सॉलिसिटर जनरल ने जज को एक नोट दिया और हमें नोट पर जवाब देने का मौका भी नहीं दिया गया। सिब्बल ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बावजूद उनकी याचिका नहीं सुनी गई, यह उनके मूलभूत अधिकारों का हनन है।