पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की गिरफ्तारी से राहत वाली याचिका खारिज करने वाले जज सुनील गौर शुक्रवार को रिटायर हो रहे हैं। गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका को खारिज हुए जज ने कहा कि प्रथम दृष्टया से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ही किंगपिन, प्रमुख साजिशकर्ता है। जज सुनील गौर ने इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक मामला बताया और कहा कि अगर इस मामले में जमानत दे दी जाती है तो समाज में इससे गलत संदेश जाएगा।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासन के दौरान वित्त मंत्री रहे चिदंबरम को उच्च न्यायालय से अंतरिम संरक्षण प्राप्त है। बता दें कि आईएनएक्स मीडिया मामले में कोर्ट ने उन्हें राहत न देते हुए उनकी अग्रिम जमानत की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है। याचिका खारिज होने के बाद अब पी. चिदंबरम पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
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गौरतलब है कि न्यायमूर्ति सुनील गौर ने आज एक अन्य हाई प्रोफाइल मामले की सुनवाई की। उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भतीजे रतुल पुरी के मामले के सुनवाई की। उनकी अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई। उसकी गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद जस्टिस गौर ने कहा, “एक प्रभावी जांच के लिए उसकी हिरासत की पूछताछ आवश्यक है। जस्टिस गौर ने 1984 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में अपना करियर शुरू किया और 1995 में दिल्ली उच्चतर न्यायिक सेवा में शामिल हुए। वह 2008 से उच्च न्यायालय में हैं।