Happy International Women Day 2023: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) को भारत में सबसे प्रतिष्ठित नौकरियों में से एक माना जाता है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कई महिलाओं ने इस चुनौतीपूर्ण काम को अपनी निःस्वार्थ सेवा और समर्पण से हमारे समाज पर एक बड़ा प्रभाव डाला है। महिला दिवस के अवसर पर जानते हैं इन 10 महिला आईएएस अधिकारियों के बारे में, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से उस मुकाम को हासिल किया, जिससे भारत में महिलाओं की भावी पीढ़ियों का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
हरि चंदना दसारी
तेलंगाना के 2010 बैच के आईएएस अधिकारी हरी चांदना पहले प्रयास में असफल हो गई थीं। 2010 में वो अपने दूसरे प्रयास में सफल हो गई थीं। हरी चांदना (IAS Hari Chandana) का लक्ष्य सिर्फ आईएएस बनना नहीं, बल्कि देश सेवा करना था। उन्होंने देश से गंदगी को साफ करने की दिशा में काम किया। उन्होंने कचरे में डाली जाने वाली प्लास्टिक की पानी की बोतल और कोल्ड ड्रिंक की बोतलों पर रिसर्च की। उन्होंने इन बोतलों का इस्तेमाल वेस्ट मैनेजमेंट (Waste Management) के तौर पर किया। ग्रीन रिवॉल्युशन के जरिए हरी चांदना ने प्लास्टिक की बोतलों में पौधे लगवाए। हरी चांदना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के अलग-अलग स्कूलों से पूरी हुई है (IAS Hari Chandana Dasari Education)। उन्होंने हैदराबाद के सेंट एन्स कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की थी। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने लंदन के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एनवायरमेंट इकोनॉमिक्स में एमएससी की डिग्री हासिल की थी।
पढ़ाई पूरी करने के बाद हरी चांदना दसारी की विश्व बैंक में नौकरी लग गई थी। उन्होंने लंदन में अन्य कंपनियों में भी काम किया है। वह विदेश में पूरी तरह से सेट हो चुकी थीं, लेकिन उनके मन में कुछ और ही चल रहा था। वह अपने पिता की तरह प्रशासनिक अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहती थीं। विदेश की करोड़ों की नौकरी छोड़ हरी चांदना भारत आकर UPSC की तैयारी करने लगी थीं।
स्मिता सभरवाल
तेलंगाना की 2001 बैच की आईएएस अधिकारी स्मिता सभरवाल को उनके असाधारण प्रशासनिक कौशल और सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। उन्होंने सरकार में विभिन्न प्रमुख पदों पर कार्य किया है, जिसमें महिला, बच्चे, विकलांग और वरिष्ठ नागरिक विभाग के सचिव शामिल हैं। वह विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में सहायक रही हैं और कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के सफल कार्यान्वयन के पीछे एक प्रेरक शक्ति रही हैं, जिससे राज्य में किसानों को काफी मदद मिली है।
अरुणा सुंदरराजन
1982 बैच की सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अरुणा सुंदरराजन का सिविल सेवाओं में विशिष्ट करियर रहा है। वह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव सहित सरकार में कई प्रमुख पदों पर रह चुकी हैं। ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में उनका योगदान भारत में डिजिटल क्रांति लाने में सहायक रहा है। उन्होंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है और दूरसंचार क्षेत्र की नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
दुर्गा शक्ति नागपाल
उत्तर प्रदेश की 2009 बैच की आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल भ्रष्टाचार और अवैध रेत खनन के खिलाफ अपने निडर और अटल रुख के लिए जानी जाती हैं। प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के उनके प्रयासों ने उन्हें लोगों का सम्मान और प्रशंसा अर्जित की है। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी काम किया है और लैंगिक समानता की मुखर हिमायती रही हैं।
श्वेता अग्रवाल
पश्चिम बंगाल की 2017 बैच की आईएएस अधिकारी श्वेता अग्रवाल ने लीक से हटकर सोच से अपना नाम बनाया है। वह स्वच्छ भारत अभियान सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में सहायक रही हैं, और मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के सफल कार्यान्वयन के पीछे एक प्रेरक शक्ति रही हैं, जिसने राज्य में जल संरक्षण में मदद की है। उनके काम ने उनको एक अलग पहचान दिलाई। लोकसेवा में उनके कार्यों को लेकर उन्हें मुख्यमंत्री पुरस्कार से भी नवाजा गया।
अनु कुमारी
हरियाणा की 2009 बैच की आईएएस अधिकारी अनु कुमारी ने साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी कुछ भी हासिल कर सकता है। उन्होंने 2017 में प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की। उनकी सफलता ने देश भर में कई युवा महिलाओं को करियर के रूप में सिविल सेवा के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अलग-अलग महकमें में काम किया। जिसमें केरल में थालास्सेरी के सब कलेक्टर के रूप में काम किया है और अपने सभी कार्यों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।
सुरभि गौतम
मध्य प्रदेश की 2016 बैच की आईएएस अधिकारी सुरभि गौतम महिलाओं को सशक्त बनाने और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की जीवनशैली में सुधार लाने के लिए अथक प्रयास किया है और उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं। वह प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना और स्वच्छ भारत अभियान सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में सहायक रही हैं।
प्रांजल पाटिल
प्रांजल पाटिल महाराष्ट्र से 2017 बैच की भारत की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अधिकारी हैं। वह देश भर के लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं। कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने कभी भी अपनी अक्षमता को अपने सपनों के आगे आड़े नहीं आने दिया। उनके समर्पण और कड़ी मेहनत ने उनकी पहचान और प्रशंसा अर्जित की है, जिसमें NCPEDP-Mphasis Universal Design Award भी शामिल है। वह समावेशिता की मुखर हिमायती रही हैं और एक अधिक सुलभ और समावेशी समाज बनाने की दिशा में काम करती रही हैं।
सृष्टि जयंत देशमुख
मध्य प्रदेश की 2018 बैच की आईएएस अधिकारी सृष्टि जयंत देशमुख देश भर में कई युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा रही हैं। उन्होंने 2018 में सिविल सेवा परीक्षा में पांचवीं रैंक हासिल की। उनकी सफलता ने कई युवा महिलाओं को करियर के रूप में सिविल सेवा के लिए प्रेरित किया। वह ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के रहने की स्थिति में सुधार लाने की दिशा में काम कर रही हैं और प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अन्ना राजम मल्होत्रा
अन्ना राजम मल्होत्रा IAS अधिकारी बनने वाली पहली महिला हैं। लैंगिक रूढ़ियों के कारण सिविल सेवाओं में प्रवेश करना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने तर्क दिया कि उन्होंने पुरुषों के समान प्रशिक्षण लिया और इसलिए वह आईएएस अधिकारी बनने के योग्य हैं। अंततः उनकी पोस्टिंग मद्रास राज्य में हो गई। अपने करियर में उन्होंने कई मंत्रालयों के तहत काम करने के अलावा, उन्होंने ASIAD प्रोजेक्ट में राजीव गांधी की मदद भी की। वह मुंबई में भारत के पहले कम्प्यूटरीकृत बंदरगाह NAVASEVA के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्हें 1989 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
इन 10 प्रेरक महिला IAS अधिकारियों ने कई बाधाओं को तोड़ा है और भारत में महिलाओं की भावी पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने अपने सपनों का पीछा करने और देश की सेवा करने में उल्लेखनीय दृढ़ संकल्प और समर्पण दिखाया है। लोक सेवा के क्षेत्र में उनका योगदान समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक रहा है।