अगले 10 सालों में भारत के शैक्षिक संस्थानों को भी दुनिया के टॉप-500 संस्थानों में शुमार करने के लक्ष्य के साथ सरकार ने बीते साल ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस’ का चुनाव किया था। इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस में 6 संस्थानों का चयन किया गया था, जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियो इंस्टीट्यूट का नाम भी शामिल था। इस इंस्टीट्यूट के कैंपस का अभी तक निर्माण भी नहीं हो सका है। यही वजह रही कि इस इंस्टीट्यूट को देश के टॉप संस्थानों में शामिल किए जाने के फैसले की आलोचना भी हुई थी। हालांकि सरकार ने जियो इंस्टीट्यूट के निर्माण और संचालन के बाद ही इसे पूर्ण रुप से इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस का दर्जा देने की बात कही थी। अब खबर आयी है कि यह संस्थान कैंपस निर्माण की अपनी तय डेडलाइन से काफी पीछे है। जिस पर इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस का रिव्यू करने वाली कमेटी ने नाराजगी जाहिर की है और इंस्टीट्यूट से अगले एक हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
बता दें कि Empowered Expert Committee (EEC) ने हाल ही में इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस में शामिल संस्थानों का रिव्यू किया। इस दौरान जियो इंस्टीट्यूट की लेट-लतीफी से एक्सपर्ट का पैनल काफी नाराज दिखा। EEC के चेयरमैन एन.गोपालस्वामी ने इकॉनोमिक टाइम्स को इस बात की जानकारी दी। खबर के अनुसार, जियो इंस्टीट्यूट की तरफ से उसके वाइस चांसलर दीपक जैन, सलाहकार विनय शील ओबेरॉय बीती 29-30 अप्रैल को कमेटी के सामने पेश हुए। जियो इंस्टीट्यूट की टीम ने EEC को बताया कि वह अपना पहला सत्र 2021-22 से शुरु कर पाएंगे, जबकि पहले यह सत्र 2020-21 से शुरु होना था।
उल्लेखनीय है कि पहले जियो इंस्टीट्यूट के कैंपस का निर्माण महाराष्ट्र के करजत में होना था, लेकिन जिस जगह पर कैंपस का निर्माण होना था, वह इको-सेंसेटिव जोन है और वहां पर किसी भी तरह के निर्माण पर पाबंदी है। यही वजह रही कि जियो इंस्टीट्यूट को अब नवी मुंबई इलाके में बनाया जाएगा। हालांकि यहां भी अभी तक एनओसी नहीं मिल सकी है। जियो इंस्टीट्यूट के अलावा मनीपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली और IISc बेंगलुरु का नाम शामिल है।