भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने महंगाई के उच्च स्तर पर बने रहने का आकलन किया है। महंगाई की स्थिति को देखते हुए रेपो दर में बदलाव नहीं किया गया है। इसे न्यूनतम चार फीसद पर बरकरार रखा गया है। इसका असर आम लोगों पर यह होगा कि आवास, वाहन और अन्य कर्ज की मासिक किस्त में कोई बदलाव नहीं होगा। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो दर को यथावत रखे जाने की संभावना पहले ही जताई जा रही थी।
दूसरे, रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाते हुए इसे 7.8 फीसद पर बने रहने की बात कही है। अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4.5 फीसद रहने की संभावना है जबकि चालू वित्त वर्ष में 5.3 फीसद रहने का अनुमान है। बैठक के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर को चार फीसद पर बरकरार रखने का निर्णय किया है। साथ ही रिवर्स रेपो दर को 3.35 फीसद पर यथावत रखा है।’ रेपो दर वह दर है जिसपर आरबीआइ बाकी पेज 8 पर वाणिज्यिक बैंकों को फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज देता है। जबकि रिवर्स रेपो दर के तहत बैंकों को अपना पैसा आरबीआइ को देने पर ब्याज मिलता है।
छह सदस्यीय एमपीसी ने आम सहमति से नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया, जबकि पांच सदस्यों ने जबतक जरूरी हो उदार रुख बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया। एक सदस्य इसके पक्ष में नहीं थे। दास ने कहा, ‘कुल मिलाकर मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि परिदृश्य खासकर मुद्रास्फीति परिदृश्य में सुधार, ओमीक्रोन को लेकर अनिश्चितता और वैश्विक संकट के असर पर गौर करते हुए, एमपीसी का विचार था कि टिकाऊ और व्यापक पुनरुद्धार के लिए नीतिगत समर्थन की अभी जरूरत है।’
केंद्रीय बैंक ने अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4.5 फीसद रहने की संभावना जताई है जो चालू वित्त वर्ष में 5.3 फीसद रहने का अनुमान है। मुख्य रूप से खाने का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर महीने में बढ़कर पांच महीने के उच्च स्तर 5.59 फीसद हो गई, जो नवंबर में 4.91 फीसद थी। वहीं थोक महंगाई दर मामूली रूप से कम होकर 13.56 फीसद रही। हालांकि यह लगातार नौ महीने से दहाई अंक में बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सकल मुद्रास्फीति (हेडलाइन इनफ्लेशन) 2021-22 की चौथी तिमाही में उच्च स्तर पर रह सकती है। हालांकि यह लक्ष्य दायरे के भीतर होगी और 2022-23 की दूसरी छमाही में नरम होगी। इससे मौद्रिक नीति क रुख उदार बने रहने की गुंजाइश होगी।
उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने कोरोना विषाणु के नए स्वरूप ओमीक्रोन से आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने की आशंका जताई है। प्रमुख आर्थिक आंकड़ों से आर्थिक गतिविधियों की गति सुस्त पड़ने के संकेत हैं। संपर्क से जुड़े क्षेत्रों (होटल, पर्यटन आदि) में मांग अभी भी कम है।
