भारतीय सेना हाल में अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर काफी व्यस्त रही हैं। भारतीय सेना ने जिन देशों के साथ संयुक्त और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास किया है, उनमें अधिकांश प्रभावशाली हैं। इसे सुरक्षा सहयोग के क्षेत्र में भारत की बढ़ती सहजता का संकेतक माना जा रहा है।
सुरक्षा साझेदारों को लेकर किए जा रहे ये अभ्यास, ऐसे अभ्यासों में शामिल होने को लेकर भारत की नई सहजता और विश्वास के स्तर को दर्शाने वाले हैं। इन कदमों की वजह से भारत, चीन से जुड़ी अपनी समस्या का समाधान खोज रहा है। अपने नए सुरक्षा सहयोगियों के साथ किए जा रहे भारत के युद्ध अभ्यास और इन देशों के साथ उसका जुड़ाव एक नए उद्देश्य, परिष्कार और जटिलताओं की अधिक समझ को उजागर करते हैं।
इस द्विवार्षिक, बहुराष्ट्रीय अभ्यास की मेज़बानी आस्ट्रेलियाई वायुसेना की ओर से की जाती है। और अंत में, एक ओर जहां इन सैन्य अभ्यासों की संख्या और विशेषज्ञता में वृद्धि हुई है, इसे लेकर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। अब एक यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस तरह का सुरक्षा सहयोग भारत की आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त होगा, क्योंकि इसे अभी भी सुरक्षा सहयोग की दृष्टि से काफी सीमित और अल्पविकसित रूप ही कहा जाएगा।
बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास
हाल में उत्तराखंड के औली में भारत और अमेरिका की सेनाओं ने चीन सीमा के पास युद्धाभ्यास किया। इसका लक्ष्य सर्वोत्तम प्रथाओं, रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं को साझा करने का था। इसी दौरान भारतीय सेना ने अपने एक अन्य सामरिक साझेदार आस्ट्रेलिया के साथ एक और अभ्यास शुरू कर दिया। पाकिस्तान की सीमा से लगे राजस्थान में भारतीय सेना और आस्ट्रेलियाई सेना की टुकड़ियों के बीच अभ्यास ‘आस्ट्रा हिंद’ किया गया।
यह अभ्यास ‘स्नाइपर्स, निगरानी और संचार उपकरण समेत नई पीढ़ी के उपकरण और अन्य विशेषज्ञ हथियारों के साथ प्रशिक्षण पर केंद्रित था।’ इससे पहले भारत और सिंगापुर की सेनाओं ने ‘अभ्यास अग्नि योद्धा’ के अपने 12वें संस्करण का आयोजन भारतीय राज्य महाराष्ट्र के देवलाली में किया। इसमें दोनों सेनाओं की आर्टिलरी अर्थात तोपखाना की संयुक्त गोलाबारी योजना, निष्पादन और नई पीढ़ी के उपकरणों के उपयोग का प्रदर्शन किया गया।
भारत ने दक्षिणपूर्व एशिया के अपने एक अन्य पड़ोसी और सहयोगी इंडोनेशिया के साथ भी सैन्य अभ्यास का आयोजन किया था। इसका आयोजन इंडोनेशिया के करावांग में स्थित सांगा बुआना प्रशिक्षण क्षेत्र में किया गया था। संयुक्त अभ्यास के दायरे में विशेष बलों के कौशल को उन्नत करने के लिए उन्मुखीकरण, हथियार, उपकरण, नवाचार, रणनीति, तकनीकी और प्रक्रियाओं पर जानकारी साझा करना था।
अहम दक्षिण पूर्व एशिया
इन दिनों दक्षिण पूर्व एशिया काफी अहम रहा है। भारत ने नवंबर-दिसंबर के दौरान तीसरे दक्षिणपूर्वी एशियाई देश, मलेशिया के साथ भी संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया था। भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट और मलेशियाई सेना की रायल मलय रेजिमेंट ने बटालियन स्तर और कंपनी स्तर के फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज (एफटीएक्स) पर एक कमांड प्लानिंग एक्सरसाइज (सीपीएक्स) को शामिल करते हुए वन क्षेत्र में विभिन्न अभियानों की योजना और निष्पादन में इंटर आपरेबिलिटी अर्थात अंतर-संचालनीयता’ को मजबूत करने का लक्ष्य लेकर अभ्यास में हिस्सा लिया था।
भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, हरिमऊ शक्ति अभियान का आयोजन भारत और मलेशियाई सेना के बीच रक्षा सहयोग के स्तर को और बढ़ाने के लक्ष्य के साथ किया गया था। मध्य एशिया के अपने एक अन्य सहयोगी कजाखिस्तान के साथ भारत ने ‘एक्स काजिंद’ के तहत सैन्य अभ्यास किया था।
वर्ष 2016 में आरंभ इस अभ्यास के छठे संस्करण का आयोजन 15 से 28 दिसंबर, 2022 तक उमरोई में किया गया था। अन्य अभ्यासों के साथ ही एक्स काजिंद में सैनिक संयुक्त योजना, संयुक्त सामरिक अभ्यास, विशेष हथियार कौशल, एचएडीआर और होस्टाइल टार्गेट अर्थात शत्रुतापूर्ण लक्ष्य पर हमला करने से लेकर विभिन्न मिशनों का अभ्यास किया गया।
सिर्फ नौसेना ही नहीं
पहले यह माना जाता था कि केवल भारतीय नौसेना ही दूसरे देशों में जाकर संयुक्त अभ्यास में शामिल होती है। सुरक्षा से जुड़े बदलते परिदृश्य में भारतीय सेना और वायुसेना भी इस तरह के अभ्यासों में समविचारी देशों के साथ सक्रियता के साथ शामिल होने लगी हैं। उदाहरण के तौर पर भारतीय वायु सेना की सुखोई-30 एमकेआइ तथा दो सी-17 विमानों की एक टुकड़ी ने 19 अगस्त से आठ सितंबर तक आस्ट्रेलिया में संपन्न एक्सरसाइज पिच ब्लैक 2022 में हिस्सा लिया था। 2022 के संस्करण में 17 भागीदार देशों के 100 से अधिक विमानों और 2500 वायु सेना कर्मियों ने इसमें हिस्सा लिया था।
बहुराष्ट्रीय मालाबार अभ्यास
द्विपक्षीय सैन्य अभ्यासों के साथ ही भारत ने बहुराष्ट्रीय मालाबार अभ्यास, जापान के समुद्र में किया था। भारतीय और अमेरिकी नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय अभ्यान के रूप में शुरू हुआ मालाबार अभ्यास का 2022 में किया गया आयोजन इसकी 30वीं वर्षगांठ भी थी। 2015 से ही जापान इस मालाबार अभ्यास का स्थायी सहयोगी है। आस्ट्रेलिया इसमें 2020 से हिस्सा ले रहा है। इस मर्तबा अभ्यास में भारतीय नौसेना के आइएनएस शिवालिक और आइएनएस कदमत ने हिस्सा लिया, जिसका नेतृत्व फ्लैग आफिसर कमांडिंग (ईस्टर्न फ्लीट) रियर एडमिरल संजय भल्ला कर रहे थे।
यह अभ्यास कई द्विपक्षीय लाजिस्टिक्स अर्थात रसद समर्थन समझौतों को मान्य करने का एक अवसर भी था, जिस पर भारत ने अन्य सदस्य देशों के साथ हस्ताक्षर कर रखे हैं। मालाबार अभ्यास के प्रत्येक संस्करण का आयोजन इसमें शामिल होने वाले देशों के लिए एक-दूसरे की परिचालन पद्धतियों और रणनीति की समझ को मजबूत करता चला गया है। ऐसे में यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री चुनौतियों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने की इन देशों की कोशिशों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
क्या कहते हैं जानकार
भारतीय सेना इन दिनों जिन देशों के साथ संयुक्त और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास कर रही है, उनकी संख्या काफी प्रभावशाली है। रणनीतिक और सामरिक रूप से वे प्रभावशाली देश भी हैं। इस कवायद को सुरक्षा सहयोग के क्षेत्र में भारत की बढ़ती सहजता का उल्लेखनीय संकेतक माना जा सकता है।
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) पीके सहगल
जटिल और यथार्थवादी प्रशिक्षण के संचालन के लिए विशाल प्रशिक्षण स्थलों की जरूरत होती है। भारत, चीन से जुड़ी अपनी समस्या का समाधान खोज रहा है। अपने नए सुरक्षा सहयोगियों के साथ किए जा रहे भारत के युद्ध अभ्यास और सहयोगी देशों के साथ उसका जुड़ाव एक नए उद्देश्य, परिष्कार और जटिलताओं की अधिक समझ को उजागर करते हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सुब्रत साहा