उरी आतंकी हमले के बाद बढ़े तनाव के बीच भारतीय नौसेना ने अरब सागर में शक्ति प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। पाकिस्तान का समुद्री मार्ग से होने वाला सारा कारोबार अरब सागर के माध्यम से होता है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार डिफेंस ऑफ गुजरात एक्सरसाइज (डीजीएक्स) नामक ये युद्ध अभ्यास पाकिस्तानी समुद्री सीमा के निकट होगा। रिपोर्ट के अनुसार इस अभ्यास में तीन दर्जन युद्धपोत और पनडुब्बियों के अलावा भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान भी हिस्सा लेंगे। सेना और खुफिया एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों ने अखबार को बताया कि अरब सागर का पाकिस्तान के लिए बहुत महत्व है और इस नौसनिक युद्ध अभ्यास से उसे जरूर संदेश पहुंचेगा।
इस युद्ध अभ्यास के तहत भारत समुद्री युद्ध होने कि स्थिति में जवाबी कार्रवाई करने, अपने बेड़े का बचाव करने और तेल रिफाइनरियों जैसी समुद्री संपत्तियों की रक्षा का अभ्यास किया जाएगा। इस युद्ध अभ्यास से नौसेना ये भी सुनिश्चित करेगी कि उसकी समुद्री सीमाएं सुरक्षित हैं। इस युद्ध अभ्यास में वायु सेना के लड़ाकू विमान भी हिस्सा लेंगे। वायु सेना के जगुआर और सुखोई-30 एमकेआई विमान हिस्सा लेंगे। नौसेना पैट्रोल एयरक्राफ्ट और मानवरहित हवाई निगरानी विमान भी अभ्यास का हिस्सा होंगे। वहीं पाकिस्तान ने अपनी सेना के तीनों अंगों को हाई अलर्ट पर रहने का आदेश दिया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तानी सेना ने राजस्थान स्थित अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15-20 किलोमीटर दूर युद्ध अभ्यास भी कर रही है।
18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के एक आर्मी कैम्प में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए हमले में 18 भारतीय जवान मारे गए थे। जवाबी कार्रवाई में चार आतंकी भी मारे गए थे। हमले के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। हमले के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि भारतीय सेना के उच्च अधिकारियों ने पीएम मोदी को तुरंत जवाबी कार्रवाई न करने की सलाह दी थी। भारतीय सेनाध्यक्ष दलजीत सिंह सुहाग ने मीडिया से कहा था कि हम अपने चुने हुए समय और तरीके से कार्रवाई करेंगे।
दूसरी तरफ भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को कूटनीतिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की कवायद शुरू कर चुका है। भारत की कोशिश का पहला नतीजा बुधवार को दिखा जब पाकिस्तान में होने वाले दक्षेस सम्मेलन का भारत द्वारा बहिष्कार किए जाने के बाद भूटान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ने भी उसका विरोध कर दिया। वहीं नेपाल ने सम्मेलन को पाकिस्तान से बाहर कराए जाने की मांग की है। दक्षेस में कुल आठ दक्षिण एशियाई देश सदस्य हैं।
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