पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हुए सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा हिंदुस्तान में खूब है। सर्जिकल स्ट्राइक की घटना पर बनी फिल्म के बाद देश का हर आदमी भारतीय जवानों की जांबाजी और शौर्य को एक बार फिर याद कर रहा है। लेकिन, शायद ही आप जानते होंगे कि 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक को बिना किसी कैजुअल्टी के सफल बनाने में सैनिकों ने डेढ़ साल की कड़ी ट्रेनिंग ली थी। बतौर नॉर्दन कमांडर सर्जिकल स्ट्राइक को हैंडल करने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुडा ने बताया कि पाकिस्तान में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भारतीय सैनिकों को डेढ़ साल से तैयार किया जा रहा था।

बुधवार को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमसी) में सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर बोलते हुए हुडा ने इस बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हमारे सैनिकों द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक को बिना किसी शहादत के सफल बनाना एक दिन की मेहनत नहीं थी। बल्कि, इसके लिए पिछले डेढ़ सालों से सैनिकों को ट्रेनिंग दी जा रही थी। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक हुडा ने कहा, “चार-पांच टारेगट (पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकाने) को चुना गया और सैनिकों को डेढ़ सालों तक ट्रेनिंग दी गई। हमें कोई संदेह नहीं था कि उरी अटैक के बाद हमें पाकिस्तान की सीमा में घुसना था और बड़ा जवाबी हमला करना था।”

गौरतलब है कि उरी हमले में 21 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की गई। जिसमें पाक अधिकृत कश्मीर में बने आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। इस ऑपरेशन को सफल बनाने के बाद हमारे सभी जवान सुरक्षित भारतीय सीमा में दाखिल हो गए थे। सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़े रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि पाकिस्तान की सीमा में दाखिल होना ख़तरे से खाली नहीं था। लिहाजा, दाखिल होने वाले रूट पर ज्यादा फोकस किया गया और हर एक पहलू जिसमें कि जानवरों की मौजूदगी को भी नोटिस किया गया। उन्होंने बताया कि हमले से पहले रूट की पूरी व्यापक जानकारी रखी गई। क्योंकि, कई जगहों पर लैंड-माइंस भी बिछाई गई थी। ऐसे में सभी जगहों की पड़ताल जरूरी थी।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल हुडा ने बताया कि पाकिस्तान के साथ हमारे देश की सीमा काफी संवेदनशील है। हमें उसे सबक सिखाने के लिए बड़ा मैसेज देना जरूर हो गया था। हालांकि, सीमा पर पाकिस्तान समर्थित आतकी गतिविधियां जारी रहेंगी। लिहाजा, हमें हर पल सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारे जवान 21,129 फीट की ऊंचाई पर माइनस 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में देश की सीमा की रखवाली कर रहे हैं।