रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्य सभा में कवच सिस्टम को लेकर पूछे गए सवाल पर लिखित में जवाब दिया है। इसमें बताया गया है कि आखिर रेलवे में कवच सुरक्षा सिस्टम का काम अब तक कहां पहुंचा है। रेल मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक रेलवे के 1,465 किलोमीटर के रूट में 139 लोकोमोटिव में अब तक कवच सिस्टम लगाया जा चुका है। वहीं दो अहम रूट्स के लिए टेंडर्स भी जारी कर दिए गए हैं।
रेलमंत्री ने कहा है कि अब तक जिन 139 लोकोमोटिव में यह कवच सिस्टम लगा है, उनमें दक्षिण मध्य रेलवे के इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक शामिल हैं। इसके अलावा कवच सिस्टम को लेकर यह जानकारी दी गई कि दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट 3000 किलोमीटर पर कवच सिस्टम लगाने के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है।
इसके अलावा रेल मंत्री ने अपने जवाब में कहा है कि ऑप्टिकल फाइबर केबल का 3,040 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है। इसके अलावा ट्रैक के किनारे इक्विपमेंट लगाने का काम 827 किलोमीटर तक पूरा हो चुका है। अब सवाल यह है कि आखिर यह कवच सिस्टम क्या है और यह किस तरीके से काम करता है।
क्या होता है कवच सिस्टम?
कवच सिस्टम की बात करें तो यह भारतीय रेलवे का ऑटोमेटिक सुरक्षा सिस्टम है। इसके जरिए रेलवे को ट्रेन हादसों को रोकने में मदद मिलती है। इसे रेलवे ट्रैक पर एक-एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है। इसे ट्रेन, ट्रैक और रेलवे सिग्नल में लगाकर सभी को कनेक्ट किया जाता है। ये सभी एक दूसरे से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी से क्म्युनिकेट करते हैं और सारी जानकारी एक दूसरे में, और अन्य कनेक्टेड ट्रेनों तक भी पहुंचाते हैं।
कैसे काम करता है कवच?
उदाहरण के लिए समझें तो, जब कोई ट्रेन रेलवे सिग्नल को तोड़ती है, तो यह कवच सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है। इसकी वजह से लोकोपायलट अलर्ट हो जाता है और ब्रेक्स को कंट्रोल करता है। कवच सिस्टम यह भी पता कर लेता है कि उस ट्रैक पर अन्य कोई ट्रेन है या नहीं। एक ट्रैक पर अन्य ट्रेन को भी कवच सिस्टम अलर्ट भेजता है और ट्रेन एक निश्चित दूरी पर आकर ऑटोमेटिकली रुक जाती है। इसके जरिए रेल हादसों का खतरा टल जाता है।