अभी भारत में बुलेट ट्रेन का सपना पूरा हुआ नहीं है और मोदी सरकार ने मैगलेव ट्रेन से जुड़ा टेंडर जारी कर दिया है। भारतीय रेलवे द्वारा जारी किए गए इस टेंडर के लिए यूएस, यूरोप और जापान की कंपनियों ने अपनी रुचि दिखाई है। जब भारतीय रेलवे अपनी टैल्गो ट्रेन का ट्रायल कर रहा था, ऐसे में अमेरिका की दो और जापान की एक कंपनी ने भारतीय रेलवे मंत्रालय से संपर्क साधकर कहा है कि वे उनकी हाई-स्पीड ट्रेन टेक्नोलॉजी को ट्राई करके देखें। इसके बाद सरकार ने एक टेंडर निकाला। इस टेंडर के जरिए लेविएशन बेस्ड ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं।
अंग्रेजी अखबार मिंट ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि यूएस, स्विट्जरलैंड, जर्मनी और जापान की हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट कंपनियों ने भारत सरकार के इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई है। इन कंपनियों में स्विट्जरलैंड की स्विस रेपिड एजी, यूएस की मैगलेव 2000 और टेस्ला मोटर्स शामिल हैं। इन कंपनियों के साथ ही भारत की कई कंपनियों ने भी इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई है। इनमें भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड, हैदराबाद की कंपनी मेधा सर्वो ड्राइव, सूरत की अजिलू सेतू प्राइवेट लिमिटेड और गुड़गांव की शरद एम मराठे शामिल हैं।
मैगलेव ट्रेन पटरी से 1 से 6 इंच ऊपर चलती हैं। ये ट्रेन चुंबकीय शक्ति से चलती हैं। इनकी स्पीड 350 से 500 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। यह ट्रेन चुंबकीय शक्ति से चलेगी ऐसे में इस ट्रेन से शोर नहीं होगा। मैगलेव ट्रेन डवलपर डिजाइनिंग, टेस्टिंग, बिल्डिंग, ट्रायल और ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होगा। डवलपर ही ट्रेन सर्विस, सैड्यूल, किराए और अन्य सर्विस के फैसले करेगा।
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