Indian Railway: ट्रेन के एसी कोच में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों की गुणवत्ता और स्वच्छता पर बढ़ती चिंताओं के बीच उत्तर रेलवे ने बड़ा फैसला लिया है। उत्तर रेलवे ने शनिवार को कहा कि कंबल को हर 15 दिन में धोया जाएगा और हर पखवाड़े गर्म नेफ़थलीन वाष्प का उपयोग करके उन्हें कीटाणुरहित किया जाएगा।
रेलवे ने कहा कि जल्द ही एक पायलट शुरू किया जाएगा, जहां जम्मू और डिब्रूगढ़ राजधानी ट्रेनों में सभी कंबलों का यूवी रोबोटिक सैनिटाइजेशन हर चक्कर के बाद होगा। बता दें, यूवी रोबोटिक सैनिटाइजेशन कीटाणुओं को मारने के लिए पराबैंगनी प्रकाश का उपयोग करता है।
उत्तर रेलवे के प्रवक्ता हिमांशु शेखर ने शनिवार को मीडिया को को बताया कि गर्म नेफ़थलीन वाष्प का उपयोग कीटाणुरहित करने का एक समय-परीक्षणित और प्रभावी तरीका है। उन्होंने कहा कि सूती लिनन को हर उपयोग के बाद मशीनीकृत लॉन्ड्रियों में धोया जाता है और इन्हें ‘व्हाइटोमीटर टेस्ट’ से गुजरना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि 2010 से पहले ऊनी कंबलों को हर 2-3 महीने में एक बार धोया जाता था। फिर इसे घटाकर एक महीने कर दिया गया और अब यह 15 दिन हो गया है। जहां हमारे पास लॉजिस्टिक चुनौतियां हैं, वहां सभी कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धोया जाता है। एक महीने में धोना एक अपवाद है, न कि नियमित। भारतीय रेलवे देश भर में यात्रियों को प्रतिदिन 6 लाख से अधिक कंबल प्रदान करता है और उत्तरी रेलवे क्षेत्र में प्रतिदिन 1 लाख से अधिक कंबल और बेड रोल वितरित किए जाते हैं।
बता दें, अभी हाल भी में कांग्रेस के सांसद कुलदीप इंदौरा ने कंबल की धुलाई और साफ-सफाई को लेकर संसद में रेल मंत्री (Rail Mantri) से सवाल पूछा था। इसके लिखित जवाब में रेल मंत्री वैष्णव ने लोकसभा में बताया था कि महीने में कम से कम एक बार कंबल की धुलाई अवश्य की जाती है। इस जवाब के आने के बाद रेलवे की देश भर में खूब फजीहत हुई थी कि एक महीने में उस कंबल को 30 पैसेंजर तो ओढ़ ही लेंगे। ऐसे में हाइजिन का क्या? अब उत्तर रेलवे का कहना है कि साल 2016 से ही कंबल की सफाई महीने में दो बार की जाती है।
यह भी पढ़ें-