कतर ने सोमवार को उन 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को रिहा कर दिया जिन्हें जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। इससे पहले सरकार के हस्तक्षेप के बाद कतर ने पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों की मौत की सजा को कम कर के जेल की सजा में बदल दिया था। जिसके बाद सात भारतीय देश लौट आए।
क़तर के शेख के आदेश पर भारतीयों की रिहाई हुई है। आठों भारतीयों को पहले मौत की सज़ा दी गई थी। एक अपील के बाद मौत की सज़ा बदल कर 5 से 25 साल तक की क़ैद की सज़ा दी गई थी। दूसरी अपील पर सुनवायी चल रही थी। इस बीच शेख के आदेश पर रिहाई हो गई। कतर से रिहा होने के बाद घर वापस आकर पूर्व भारतीय नौसेना नाविक रागेश गोपकुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनकी पत्नियों को फोन किया था और कहा था कि वो हमें वापस लाएंगे।
‘अचानक बैग पैक करने के लिए कहा गया’
सेलर ने बताया कि उन्हें और अन्य नाविकों को उनकी रिहाई की कोई सूचना नहीं थी और अचानक उन्हें पैक अप करने के लिए कहा गया था। 41 साल के रागेश उन आठ नाविकों में से एक हैं जिन्हें कतर ने रिहा किया था। तिरुवनंतपुरम के बलरामपुरम के मूल निवासी रागेश ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम जेल से अपनी रिहाई को लेकर आशान्वित थे लेकिन यह कब होगा इसका कोई अंदाज़ा नहीं था। अचानक, जेल अधिकारियों ने हमें सामान पैक करने के लिए कहा। हम सभी को कतर में भारत के राजदूत को सौंप दिया गया। वह हम सभी को अपने आवास पर ले गए।”
पीएम मोदी ने कतर के फैसले के बारे में सीधे राजदूत को सूचित किया
रागेश ने कहा कि उन्हें बताया गया कि राजदूत को भी 20 मिनट पहले ही घटनाक्रम के बारे में सूचित किया गया था। उन्होंने कहा, “हमें पता चला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के फैसले के बारे में सीधे राजदूत को सूचित किया। हमें अगली फ्लाइट से भारत वापस भेज दिया गया। डिप्टी एंबेसडर हमें एयर पोर्ट तक ले गए।”
वहीं, कतर में कैद में बिताए समय को याद करते हुए रागेश ने कहा कि शुरुआत में उन्हें अलग-अलग कोठरियों में रखा गया था लेकिन बाद में राजदूत के हस्तक्षेप के बाद एक सेल में दो लोगों को जाने की इजाजत दी गई। उन्होंने बताया, “हम शुरू में अपने परिवारों को सूचित नहीं कर सके, हम सब टूट गये थे। हालांकि, एक महीने बाद हमें घर पर फोन करने की अनुमति दे दी गई। फिर और कॉल करने की अनुमति दी गई। राजदूत विपुल हमसे मिलने आते थे, जिससे हमें उम्मीद और आशा मिलती थी।”
रागेश 15 साल की सेवा के बाद 2017 में भारतीय नौसेना से सेलर के रूप में रिटायर हुए। इसके बाद उन्होंने अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज में नौकरी के लिए आवेदन करने से पहले केरल जल प्राधिकरण के साथ कांट्रैक्ट पर काम किया। उन्होंने कहा, “यह एक अच्छा प्रस्ताव था और मैंने इसे स्वीकार कर लिया।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने पत्नियों को दिया आश्वासन
भारतीय नौसेना के इन लोगों को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। रागेश को तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई थी और जब वह रिहा हुए तो वह पहले ही डेढ़ साल जेल में पूरा कर चुके थे। उन्होंने कहा, “हमें मौत की सज़ा सुनाए जाने के एक दिन बाद, केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर ने हमारी पत्नियों को दिल्ली बुलाया। उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि हमें घर वापस लाया जाएगा। उन्होंने हमारी पत्नियों से कहा, ‘मैं उन्हें वापस लाऊंगा। मैं उनकी रिहाई के लिए गुहार लगाने के लिए भी तैयार हूं।”