यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरा कार्यकाल मिलता है तो उन्हें देश की सिविल सेवा में शीर्ष स्तर पर बड़े फेरबदल करने पड़ सकते हैं। इकोनॉमिक्स टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि आठ उच्च अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखकर ट्रांसफर करने या फिर वीआरएस (समय से पहले सेवानिवृति) के लिए आग्रह किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से जुड़े तीन अधिरियों ने इस बात की जानकारी दी हैं। इन अधिकारियों ने विषय की गंभीरता को देखते हुए अपना नाम उजागर करने से इनकार कर दिया है। इनमें से दो ने कहा कि वे भी राज्य की राजधानियों या अन्य नौकरियों में स्थानांतरित होने के इच्छुक हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय में करीब 25 नौकरशाह काम कर रहे हैं, मगर पूरे डिपार्टमेंट पर दबदबा अकेले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही रहता है। ऐसे में कई उच्च अफसर नीतियों को तैयार करने से लेकर लागू करने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं, क्योंकि काम काफी हिस्सा खुद पीएम मोदी और मंत्रियों के छोटे समूह की निगरानी में हो रहा है। ऊपर से रोजाना काम का प्रेशर भी अलग से है। गृहमंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने इकोनॉमिक्स टाइम्स को बताया है, ” (मोदी सरकार में) सहयोगिता की भावना लगभग खत्म है। मोदी और उनके मंत्री नौकरशाहों के साथ सामान्य रिश्ता नहीं रखते।” रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने शासन संबंधी मामलों में मंत्रियों की सीधी दखल पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

गौरतलब है कि दुनिया भर में जब कभी भी कोई सरकार दोबारा सत्ता में आती है तो नौकरशाही में बड़े स्तर पर फेरबदल देखने को मिलते हैं। भारत में अक्सर देखा गया है कि पीएमओ समेत तमाम मंत्रालयों में नौकरशाहों की नियुक्ति उनकी संबंधित पार्टी से नजदीकियों आधार पर होती है। मगर, मोदी सरकार में सीनियर अधिकारियों को लगता है कि पीएम मोदी का उनके प्रति रवैया ठीक नहीं है। छुट्टी के दिन भी काम पर बुलाना, प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी देना और स्वच्छता अभियान के तहत दफ्तरों की सफाई करना ऐसे मुद्दे रहे हैं, जिनसे नौकरशाहों और मोदी के बीच दूरी बढ़ी है।

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