कोरोना के बाद अब भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। भारत सरकार के दावे पर मुहर लगाते हुए यूबीएस ने भी अर्थव्यवस्था पर ग्रोथ का अनुमान बढ़ा दिया है।

स्विस ब्रोकरेज यूबीएस सिक्योरिटीज ने उम्मीद से ज्यादा तेजी, उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ने और खर्च में बढ़ोतरी का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए अपने विकास अनुमान को संशोधित कर सितंबर में 8.9 फीसदी से बढ़ाकर 9.5 फीसदी कर दिया है। जानकारी के अनुसार संस्था ने वित्तवर्ष 2022- 2023 के लिए ग्रोथ रेट 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, वहीं 23-24 के लिए इसमें गिरावट की बात कही गई है।

रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, जबकि औसत अनुमान 8.5 से 10 प्रतिशत के बीच है। सरकार का अनुमान करीब 10 फीसदी है। वित्त वर्ष 22 की जून तिमाही में जीडीपी 20.1 फीसदी बढ़ी।

सितंबर की अपनी समीक्षा में यूबीएस ने कहा कि मौसमी रूप से समायोजित क्रमिक आधार पर, वास्तविक जीडीपी में जून तिमाही में 12.4 प्रतिशत की गिरावट आई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में -26 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2022 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के आधार का अनुमान 8.9 प्रतिशत है।

बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी 16 नवंबर को कहा था कि महामारी के बाद की दुनिया में भारत की आर्थिक वृद्धि तेज गति से हो सकती है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कई मैक्रो संकेतकों ने अर्थव्यवस्था की तेजी की ओर इशारा किया है, लेकिन विकास को टिकाऊ बनाने के लिए, निजी पूंजी निवेश को उठाना होगा।

वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना के बाद तेजी से ठीक हुई है। भारत की अर्थव्यव्सथा अभी भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का बैंकिंग क्षेत्र भी महामारी के बाद उल्लेखनीय रूप से ठीक हो गया है, अर्थव्यवस्था के विकास के लिए स्टार्टअप सहित नए युग के उद्योगों को जोड़ना बहुत महत्वपूर्ण है।