भारतीय सेना में मेजर रैंक के 2,094 और कैप्टन रैंक के 4,734 अधिकारियों की कमी है। इसके अलावा सेना, नौसेना और वायु सेना में भी डॉक्टरों, दंत चिकित्सकों और नर्सों की कमी है। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट (Minister of State for Defence Ajay Bhatt) ने राज्यसभा सांसद कुमार केतकर और जेबी माथेर हिशाम की ओर से पूछे गए सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।

कोरोना के कारण भर्ती पर पड़ा असर

अजय भट्ट ने बताया कि सेना में मेजर और कैप्टन की कमी का कारण कोविड-19 महामारी के दौरान कम भर्ती है। इसके अलावा सभी सहायक कैडर में कम भर्ती भी इसका कारण हैं। मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि कमी को कम करने के लिए शार्ट एंट्री को और अधिक आकर्षक बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है।

सेना में डॉक्टरों की भी कमी

सोमवार को राज्यसभा में सौंपे गए जवाब में अजय भट्ट ने यह भी बताया कि सेना, नौसेना और वायु सेना में 630 डॉक्टरों, 73 दंत चिकित्सकों और 701 नर्सों की कमी है। आर्मी में सबसे अधिक रिक्तियां हैं। आर्मी में 598 डॉक्टर, 56 दंत चिकित्सक और 528 नर्सों की कमी है। वहीं नौसेना में 20 डॉक्टरों, 11 दंत चिकित्सकों और 86 नर्सों की कमी है जबकि वायु सेना में 12 डॉक्टरों, 6 दंत चिकित्सकों और 87 नर्सों की कमी है।

आने वाले समय में भर्ती को कवर करने का प्रयास किया जायेगा- मंत्री अजय भट्ट

मंत्री अजय भट्ट ने यह भी कहा कि आर्मी में 1,495 पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है जबकि नौसेना और वायु सेना में क्रमशः 392 और 73 पैरामेडिकल कर्मियों की कमी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण 2021 और 2022 में अन्य मेडिकल स्टाफ की भर्ती भी प्रभावित हुई। अजय भट्ट ने कहा कि भविष्य की भर्ती में इसे कवर करने का प्रयास किया जा रहा है।

इसके अलावा मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि तीनों सेवाओं में डॉक्टर-पेशेंट अनुपात 0.64 प्रति 1,000 है। यानी प्रति 1,563 मरीजों पर एक डॉक्टर है जबकि नर्स-पेशेंट अनुपात 0.42 प्रति 1,000 है। यानी प्रति 2,381 मरीजों पर एक नर्स है।