भारत वायुसेना ने पाकिस्तानी लड़ाकू विमान समझ जिस हेलीकॉप्टर को मार गिराया था। उस हादसे में जान गंवाने वाले 6 जवानों वीरता पुरस्कार देने की सिफारिश की गई है। भारतीय सेना के इतिहास में यह सबसे बड़ी चूक थी। यह घटना भारत की तरफ से बालाकोट एयरस्ट्राइक के एक दिन बाद हुई थी।
27 फरवरी को जम्मू और कश्मीर में बडगाम के निकट भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी लड़ाकू विमान समझकर एमआई-17 हेलीकॉप्टर को मार गिराया था। इस हादसे के बाद एयरफोर्स के छह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। हालांकि, उस समय यह जानकारी सामने नहीं आई थी कि हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के हमले में ही मार गिराया गया है।
टेलीग्राफ की खबर के अनुसार रक्षा मंत्रालय के दो अधिकारियों के अनुसार इस तरह की सिफारिश असामान्य है क्योंकि हादसे में मारे गए सैनिक अपने ही सेना के हमले में मारे गए थे। यह हादसा पूरी तरह से एयर ट्रैफिक कंट्रोल और जमीन पर मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों में तालमेल कारण हुआ था।
एयरफोर्स के छह सैनिकों जिसमें दो पायलट भी शामिल थे, की यह घटना विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के पाकिस्तान द्वारा पकड़े जानी की खबर के कारण दब गई थी। दो दिन बाद पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा कर दिया था। भारत लौटने पर अभिनंदन का हीरो की तरह स्वागत हुआ था।
सरकार ने अगस्त में अभिनंदन को तीसरे सबसे बड़े वीरता सम्मान वीर चक्र से सम्मानित किया। इससे पहले 4 अक्टूबर को वायुसेना प्रमुख राकेश सिंह भदौरिया ने कश्मीर में हुए इस हादसे की बात को स्वीकार किया था। एयरफोर्स प्रमुख ने इस बड़ी चूक करार देते हुए कहा था कि इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई।
बडगाम में एम-17 हेलीकॉप्टर को मार गिराने को लेकर भदौरिया ने कहा कि यह हमारी तरफ से हुई एक बड़ी गलती थी। उन्होंने कहा था कि उच्च स्तरीय जांच में सामने आया कि भारतीय वायुसेना की सतह से सतह से मार करने वाली मिसाइल ने 27 फरवरी की सुबह एमआई-17 हेलीकॉप्टर को मार गिराया था।