अमेरिका ने फैसला किया है कि भारत को उच्च तकनीकी वाले उत्पादों की बिक्री पर निर्यात के नियमों में ढील दी जाए। भारत ने मंगलवार (31 जुलाई) को अमेरिका के इस फैसले का स्वागत किया है। भारत ने कहा है कि इससे दोनों देशों के बीच रक्षा और कई अन्य क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। ट्रंप प्रशासन ने सोमवार (30 जुलाई) को घोषणा की थी कि भारत को रणनीतिक व्यापार सहयोगी-1 यानी STA-1 का दर्जा दिया जाएगा। अमेरिका ने दक्षिण एशिया में ये दर्जा सिर्फ भारत को दिया है। भारत के अलावा ये दर्जा नाटो के सदस्य देशों जैसे दक्षिण कोरिया, आॅस्ट्रेलिया और जापान को ही हासिल है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने वाशिंगटन के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन का फैसला भारत के अमेरिका के बड़े रक्षा सहयोगी बनने की तार्किक परिणति है। अमेरिका ने अपने इस फैसले से भारत का बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण के दौर का जिम्मेदार सदस्य होने और साफ-सुथरा रिकॉर्ड रखने पर मुहर लगा दी है। भारत को STA-1 का दर्जा मिलने से अमेरिका से रक्षा और अन्य क्षेत्रों की गूढ़ तकनीकी हासिल करने में मदद मिलेगी।

रवीश कुमार ने कहा,”हम 30 जुलाई को इंडो-पैसिफिक बिजनेस फोरम में अमेरिका के वाणिज्य सचिव विल्बर रॉस के द्वारा की गई घोषणा का स्वागत करते हैं। उन्होंने भारत को डिपार्टमेंट आॅफ कॉमर्स स्ट्रेटजिक ट्रेड आॅथराइजेशन के टीयर—1 में रखने का ऐलान किया है। इससे भारत को रणनीतिक सामग्री के व्यापार में सहूलियत होगी।” उन्होंने कहा इससे भारत—अमेरिका के बीच रक्षा और उच्च तकनीकी वाले क्षेत्रों में व्यापार और तकनीकी सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी। हम अमेरिकी पक्ष से पहले ही इस फैसले की उम्मीद कर रहे थे।

बता दें कि जून 2016 में अमेरिका ने भारत को वरिष्ठ रक्षा सहयोगी का दर्जा दिया था। इससे दोनों देशों के बीच रक्षा व्यापार और तकनीकी की साझेदारी में बढ़ोत्तरी हुई है। अमेरिका ने भी भारत को वही महत्व दिया है जो वह अपने करीबी सहयोगियों और साझीदारों को देता है। भारत के लिए STA-1 दर्जे की घोषणा करते हुए सोमवार को रॉस ने कहा था,”ये भारत के लिए निर्यात नियंत्रण के दौर में बड़ा महत्वपूर्ण परिवर्तन है।

वैसे बता दें कि वर्तमान में STA-1 लिस्ट में कुल 36 देश आते हैं। अभी तक भारत को STA-2 श्रेणी के देशों में रखा गया था। भारत के साथ ही इस लिस्ट में सात अन्य देशों को भी रखा गया था। रॉस ने कहा कि STA-1 का दर्जा मिलने से भारत को रक्षा और अन्य उच्च तकनीकी वाले उत्पाद मिल सकेंगे। ये फैसला भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों के बीच एक महीना पहले हुई बैठक के बाद लिया गया है। इसे विदेश मंत्री की द्विपक्षीय नीति की बड़ी सफलता माना जा रहा है।