अमेरिका के द्वारा H-1B वीजा को लेकर उठाए गए सख्त कदम पर भारत ने अपना बयान जारी कर दिया है। भारत ने कहा है कि इस कदम के ‘मानवीय परिणाम’ हो सकते हैं। अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने कहा है कि H1-B वीजा के तहत विदेशी कर्मचारियों को नौकरी पर रखने वाली कंपनियों को हर कर्मचारी के लिए 1 लाख डॉलर (88 लाख रुपये) का भुगतान अमेरिका को करना होगा।

ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को लेकर भारत में जबरदस्त हलचल शुरू हो गई है क्योंकि बड़ी संख्या में भारतीय प्रोफेशनल्स H-1B वीजा प्रोग्राम के तहत अमेरिका में नौकरी करते हैं।

राजनीतिक हलकों से भी इस मामले में प्रतिक्रिया सामने आई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं।

क्या भारतीयों का अमेरिका में नौकरी करने का सपना टूट जाएगा?। Explained

क्या कहा विदेश मंत्रालय ने?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शनिवार को कहा, “सरकार ने अमेरिकी H-1B वीजा प्रोग्राम पर प्रस्तावित प्रतिबंधों से संबंधित रिपोर्ट्स देखी हैं। इस फैसले के असर का अध्ययन सभी संबंधित पक्षों की ओर से किया जा रहा है, जिनमें भारतीय उद्योग जगत भी शामिल है। उद्योग जगत ने पहले ही H-1B प्रोग्राम से जुड़ी कुछ धारणाओं को स्पष्ट करते हुए शुरुआती विश्लेषण जारी कर दिया है।”

भारत ने कहा है कि इस कदम से परिवारों के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है। भारत सरकार ने उम्मीद जताई कि इन मुश्किलों को अमेरिकी अधिकारी सही ढंग से हल कर सकते हैं।

जायसवाल ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों देशों के उद्योग जगत की इनोवेशन और क्रिएटिविटी में हिस्सेदारी है और उनसे आगे बढ़ने के बेहतर रास्ते पर परामर्श की उम्मीद की जा सकती है।

जायसवाल ने कहा, “स्किल्ड लोगों की आवाजाही ने अमेरिका और भारत में प्रौद्योगिकी विकास, इनोवेशन, आर्थिक वृद्धि, प्रतिस्पर्धा और संपन्नता बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। इसलिए, नीति-निर्माता हाल के अमेरिकी फैसले का आकलन आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए करेंगे, जिसमें दोनों देशों के बीच गहरे people-to-people संबंध भी शामिल हैं।”

‘मैं फिर कहता हूं, नरेंद्र मोदी कमजोर प्रधानमंत्री हैं’

अमेरिका लौटने की कोशिश कर रहे लोग

अमेरिका में यह फैसला 21 सितंबर को 12:01 बजे से लागू हो जाएगा। ऐसे में H-1B वीजा धारकों या उनके परिवार के सदस्य, जो काम या छुट्टी के लिए अमेरिका से बाहर हैं, वे अगले 24 घंटों में वापस आने की कोशिश कर रहे हैं। अगर उन्हें अमेरिका लौटने में देर हो जाती है तो उनके देश में आने पर रोक लग सकती है।

अमेरिकी सरकार का कहना है कि H1-B वीजा प्रोग्राम का जानबूझकर गलत इस्तेमाल अमेरिकी प्रोफेशनल्स के बजाय कम सैलरी लेने वाले और कम स्किल्ड लोगों को लाने के लिए किया गया है।

अमेरिका की सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2015 से हर साल मंजूर किए जाने वाले सभी H-1B आवेदनों में से 70% से ज्यादा आवेदन भारतीयों के हैं। दूसरे नंबर पर चीन है और वहां के लोगों के आवेदन का आंकड़ा साल 2018 से 12-13% के आसपास ही है।

72 प्रतिशत वीजा भारतीयों को मिले

आंकड़ों से यह भी सामने आया है कि अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच, H-1B वीजा कार्यक्रम के तहत जारी किए गए लगभग 4 लाख वीजा में से 72 प्रतिशत भारतीयों को मिले। इस दौरान अमेरिका में काम कर रही भारत की चार बड़ी IT कंपनियों- Infosys, TCS, HCL और Wipro को अपने कर्मचारियों के लिए करीब 20 हजार H-1B वीजा की मंजूरी मिली।

H-1B वीजा तीन साल के लिए वैध होते हैं और इन्हें अगले तीन साल के लिए रिन्यू किया जा सकता है।

अब आसानी से नहीं मिलेगा H1B वीजा, देने पड़ेंगे 88 लाख से ज्यादा रुपये