भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर काम जारी है। यह समझौता टैरिफ लगाने और भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद के कारण रुका हुआ था। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक के बाद कहा है कि अमेरिका के लिए भारत एक महत्वपूर्ण संबंध है और उन्होंने व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स और महत्वपूर्ण खनिजों को प्रमुख मुद्दे बताया।
एस जयशंकर ने भारत में राजदूत पद के लिए ट्रंप प्रशासन द्वारा नामित सर्जियो गोर से भी मुलाकात की। वहीं, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने व्यापार समझौते के लिए अमेरिकी वार्ताकारों के साथ बातचीत का नेतृत्व किया। इस बीच, दोनों पक्षों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बैठक की संभावना तलाशनी शुरू कर दी है।
क्या अगले महीने मलेशिया में हो सकती है ट्रंप-मोदी की मीटिंग?
द्विपक्षीय यात्रा के विकल्प के अलावा, अगले महीने एक और अवसर है अगर ट्रंप 26 से 28 अक्टूबर तक कुआलालंपुर में आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिए मलेशिया की यात्रा करने का फैसला करते हैं। मोदी के आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना है और अगर ट्रंप भी वहां होंगे तो अगले महीने उनके बीच द्विपक्षीय बैठक की संभावना है। हालांकि, यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि व्यापार समझौते पर बातचीत कैसे आगे बढ़ती है। साथ ही अगर कुआलालंपुर में कोई बैठक होनी है तो एक तरह की समय सीमा है,वह है एक महीने के भीतर, 26 अक्टूबर तक समझौता पूरा करना।
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जयशंकर के साथ अपनी बैठक में रुबियो ने क्वाड समूह पर भी बात की। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने बैठक के विवरण में कहा, “सचिव रुबियो ने दोहराया कि भारत, अमेरिका के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संबंध है। उन्होंने व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, महत्वपूर्ण खनिजों और द्विपक्षीय संबंधों से संबंधित अन्य मुद्दों सहित अनेक मुद्दों पर भारत सरकार की निरंतर भागीदारी की सराहना की।”
जयशंकर की EU के विदेश मंत्रियों से मुलाकात
न्यूयॉर्क में, विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों से भी मुलाकात की। यूरोपीय संघ ने हाल ही में अगले साल की शुरुआत में होने वाले यूरोपीय संघ-भारत नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले भारत के लिए एक महत्वाकांक्षी एजेंडा पेश किया है। यह संतुलन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की व्यापार वार्ता और अमेरिका के साथ व्यापक रणनीतिक जुड़ाव इन सभी मुद्दों पर बातचीत की प्रगति पर निर्भर हैं – रक्षा बिक्री, ऊर्जा आपूर्ति, दवाओं के लिए बाजार की पहुंच और महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक सप्लाई चेन। यूरोपीय संघ खुद को एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित कर रहा है और भारत-यूरोपीय संघ के बीच व्यापार वार्ता भी चल रही है।