आतंकवादियों के रासायनिक और जैविक हमलों से निपटने के लिए भारत और अमेरिका ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। भारत की नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) और अमेरिका का स्पेशल ऑपरेशन्स फोर्स (SOF) अपने छठवें संयुक्त आतंकरोधी अभ्यास तरकश (Tarkash) में पहली बार केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर हमलों से निपटने और उन्हें निष्फल करने की ट्रेनिंग चेन्नई में ले रहे हैं।

चार हफ्तों तक चलेगा भारत-अमेरिका का संयुक्त अभ्यास

16 जनवरी 2023 से शुरू हुए इस संयुक्त अभ्यास का समापन 14 फरवरी को होना है। चार हफ्तों के इस संयुक्त अभ्यास के दौरान आतंकियों के रासायनिक हमलों से निपटने के लिए खास तौर पर तैयारी की गई है। इस दौरान चेन्नई के विभिन्न इलाकों में एनएसजी और एसओएफ के जवानों ने मॉक ड्रिल भी की। यह अभ्यास मई 2022 में यूक्रेन के खिलाफ रूसी आरोपों की पृष्ठभूमि में आता है कि कीव ने रूस को दोष देने और पश्चिम से सैन्य सहायता प्राप्त करने के लिए खार्किव में एक रासायनिक हमले की योजना बनाई थी।

दोनों देशों की टीम ने की मॉक ड्रिल

संयुक्त अभ्यास में पहली बार रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (CBRN) आतंकवादी प्रतिक्रिया मिशन के लिए एक वेलिडेशन एक्सरसाइज की। एक मॉक ड्रिल इस आधार पर की गई कि आतंकी इंटरनेशनल समिट को निशाना बनाते हैं, अपने साथ रासायिनक हथियार लेकर आते हैं। ऐसे में एनएसजी और एसओएफ के जवान जल्द ही आतंकियों को नाकाम कर न सिर्फ वहां उपस्थित लोगों को सुरक्षित बाहर निकालते हैं बल्कि आतंकवादियों द्वारा लाए गए रासायनिक हथियारों को भी निष्क्रिय कर देते हैं। टीमों द्वारा संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य आतंकवादियों को तेजी से बेअसर करना, बंधकों को सुरक्षित छुड़ाना और आतंकवादियों द्वारा ले जाए जा रहे रासायनिक हथियारों को निष्क्रिय करना था।

सूत्रों ने कहा कि अभ्यास में भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा लक्ष्य क्षेत्र में छोटी टीम भेजना, एक बड़े हाल में घुसकर बंधकों को छुड़ाना और रासायनिक हथियार को बेअसर करना शामिल था।

एक अधिकारी के मुताबिक, “दोनों बलों के बीच संयुक्त अभ्यास में शहरी वातावरण में आतंकवाद विरोधी अभियानों के व्यापक स्पेक्ट्रम पर रणनीति एक्शन लेना शामिल था। जिसमें करीबी लड़ाई, हस्तक्षेप अभ्यास, बंधक बचाव अभियान, निगरानी, ​​​​लंबी दूरी की स्निपिंग और कई स्थानों पर कई लक्ष्यों को टारगेट करने का ऑपरेशन शामिल था।”