इंडिया टीवी पर डिबेट के दौरान टीएमसी प्रवक्ता ने कहा कि 2014 में देश में जो जुमले वाली सरकार आई है उसको सब देख रहे हैं। बीजेपी को चुनाव के समय विभाजन की राजनीति दिखाई देती है। असम में कितने हिंदुओं का नाम आपने एनआरसी से बाहर किया है। आप लोग न शिक्षा दे सकते हैं, न रोजगार दे सकते हैं। क्या आप बता सकते हैं कि मोदी जी आज तक देश में बाहर से कितना निवेश लेकर आए हैं? पीएम मोदी का पीएम बनने का सपना तो पूरा हो गया लेकिन वे निवेश एक फूटी कौड़ी का नहीं ला सके।

डिबेट में बीजेपी के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि ममता बनर्जी ने बांग्लादेश से आए मटुआ समुदाय को नागरिकता तो नहीं दी। नागरिकता देने का काम सीएए के जरिए पीएम मोदी ने किया। जब ममता बनर्जी सत्ता में नहीं थी तब तो बांग्लादेश से आए हिंदुओं को नागरिकता देने की बात करती थी लेकिन आज सत्ता में हैं तो इसका विरोध करती हैं। त्रिवेदी ने कहा कि ये वही बंगाल है जहां छाती ठोककर मौलाना कहते हैं कि हम देखते हैं कि रोहिंग्या को कौन निकालता है। सरकारी आंकड़ा है कि 2 करोड़ के आस-पास बांग्लादेशी भारत में हैं। लेकिन आज तक उन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया। बिना नागरिकता लिए ये लोग वोटर कैसे हो गए? ये हैरानी की बात है।

असम में हिंदु कैसे एनआरसी से बाहर हो गए इसका जवाब देते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि इसके लिए भी ममता बनर्जी की सरकार जिम्मेदार है। बीजेपी ने मांग रखी थी कि असम के सीमावर्ती इलाकों में फिर से एनआरसी कराया जाए। पहले एनआरसी कोर्ट के आदेश पर की जा रही थी।

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस लेफ्ट और टीएमसी का बांग्लादेश से आए लोगों को लेकर स्टैंड बदलता रहता है। जो पार्टियां विकास की बात करती हैं वे ये बताएं कि मुस्लिम वोट बैंक को हासिल करने के लिए इतने उतावले क्यों हुए जा रहे हैं? कांग्रेस ने फुरफुरा शरीफ के अब्बास सिद्दीकी से गठबंधन क्यों किया? ममता ओवैसी का विरोध किसके लिए कर रही हैं?