भारत में तस्करी आज एक बड़ी समस्या बन गई है, जो सिर्फ कानून व्यवस्था पर ही नहीं, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति, समाज और पर्यावरण पर भी असर डाल रही है। तस्करी का प्रभाव केवल कुछ क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहता। यह पूरे देश की सुरक्षा, स्वास्थ्य, समाज और पर्यावरण को प्रभावित करता है। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) की ओर से जारी रपट ‘भारत में तस्करी 2023-24’ में तस्करी की बढ़ती घटनाओं के बारे में चेतावनी दी गई है और इसके समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत बताई गई है। भारत में तस्करी के मुख्य स्रोतों और मार्गों में बदलाव आ रहे हैं।

तस्करी की विभिन्न प्रवृत्तियां भारत में विविध रूपों में दिखती हैं। वर्ष 2023-24 की रपट में कई प्रमुख प्रवृत्तियां उजागर हुई हैं। इनमें कोकीन और अन्य मादक पदार्थों की तस्करी, सोने की तस्करी, वन्यजीवों की तस्करी और ‘सिंथेटिक ड्रग्स’ का बढ़ता कारोबार शामिल हैं। इसके अलावा म्यांमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ भारत की सीमाओं का भी इस्तेमाल तस्करी के लिए किया जा रहा है। वर्ष 2023-24 में कोकीन की तस्करी के सैंतालीस मामले सामने आए। यह संख्या पिछले वर्ष के इक्कीस मामलों से कहीं अधिक है।

कोकीन का नया प्रकार भी आया सामने

इसका मुख्य कारण यह है कि दक्षिण अमेरिका और अफ्रीकी देशों से सीधे हवाई मार्गों और समुद्री मार्गों के माध्यम से भारत में मादक पदार्थ पहुंच जाता है। तस्कर इन नशीले पदार्थों को हवाई मार्गों या समुद्र के रास्ते भारत में भेजते हैं। इसके अलावा ‘ब्लैक कोकीन’ नामक एक नया प्रकार भी सामने आया है, जो अन्य सामान्य कोकीन से अलग है। इसकी ऐसे रासायनिक पदार्थों से ढक कर तस्करी की जाती है जो इसे सामान्य रूप से पकड़े जाने से बचाता है, जैसे चारकोल या आक्साइड। इस प्रकार की तस्करी को रोकने के लिए नए तकनीकी उपायों की आवश्यकता है।

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भारत में सोने की तस्करी विशेष रूप से बढ़ी है, क्योंकि देश में इस पर उच्च आयात शुल्क लगाया जाता है। इससे अवैध तस्करी को बढ़ावा मिलता है। वर्ष 2023-24 की रपट में यह पाया गया है कि सोने की तस्करी पश्चिम एशिया से विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब से की जा रही है। सोने की तस्करी के लिए ‘म्यूल्स’ (सामान ले जाने वाले व्यक्ति) का उपयोग किया जाता है, जिनमें विदेशी नागरिक या कभी-कभी हवाई अड्डों के कर्मचारी भी शामिल होते हैं। इसके अलावा भारत में वन्यजीवों की तस्करी भी एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है।

जंगली जानवरों की तस्करी

हाथी दांत, तेंदुओं की खाल और अन्य संरक्षित प्रजातियों की तस्करी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इनकी तस्करी से जैव विविधता पर संकट बढ़ रहा है और पर्यावरणीय असंतुलन भी पैदा हो रहा है। विशेष रूप से हाथी दांत की तस्करी दक्षिण-पूर्व एशिया में उच्च मांग के कारण बढ़ी है। इसके अलावा, तारे वाले कछुए (जो अपनी औषधीय और सजावटी उपयोगिता के लिए प्रसिद्ध हैं) की अवैध रूप से तस्करी कर विदेश में भेजा जा रहा है। इसी तरह भारत में म्यांमा, लाओस और थाईलैंड जैसे देशों से ‘सिंथेटिक ड्रग्स’ और हेरोइन की तस्करी की घटनाएं बढ़ी हैं। ये पदार्थ मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों से भारत में प्रवेश करते हैं।

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भारत में तस्करी के लिए मुख्य रूप से तीन प्रमुख मार्गों का उपयोग किया जाता है, पहला हवाई मार्ग, दूसरा समुद्री और तीसरा सड़क मार्ग। ऐसी खबरें आती रही हैं कि हवाई मार्ग तस्करों के लिए सुविधाजनक बन चुका है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात में वृद्धि हुई है। तस्कर मादक पदार्थों को सूटकेस, पार्सल से या निगल कर भारत भेजने का प्रयास करते हैं। हवाईअड्डों पर सुरक्षा उपायों को चकमा देकर यह पदार्थ विदेशों से बड़ी आसानी से भारत में लाए जाते हैं। यहां विशाल तटीय क्षेत्रों के कारण समुद्री मार्गों का उपयोग भी तस्करी के लिए बढ़ा है।

प्रमुख रूप में इन देशों से हो रही तस्करी

तस्कर समुद्री कंटेनरों और मछली पकड़ने वाली नौकाओं में मादक पदार्थों को छिपा कर भारत में लाते हैं। इसके अलावा, तस्करी के लिए समुद्री मार्गों का इस्तेमाल बहुत सस्ता होता है, जो इसे एक प्रभावी विकल्प बनाता है। भारत की जमीनी सीमाएं (विशेष रूप से बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमा से) तस्करों के लिए प्रमुख प्रवेश बिंदु बन चुकी हैं। इन सीमाओं के पास भौगोलिक परिस्थितियां और निगरानी की कमी तस्करी को बढ़ावा देती हैं।

तस्करी के दुष्प्रभाव समाज और देश पर गहरे रूप से पड़ते हैं। मादक पदार्थों, सोने, कीमती रत्नों और वन्यजीव उत्पादों की तस्करी से राजस्व में भारी कमी होती है। जब ये वस्तुएं अवैध रूप से आयात या निर्यात होती हैं, तो सरकार को उनका कर और शुल्क नहीं मिल पाता, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि बाधित होती है। दूसरी ओर, मादक पदार्थों की तस्करी विशेष रूप से चिंता का विषय है, क्योंकि यह युवा पीढ़ी को नशे की लत में डाल देती है। नशे के कारण युवाओं में अपराध की प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं, जो न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि समाज में असंतुलन का कारण भी बनती हैं। युवा जब नशे की लत में फंस जाते हैं, तो न केवल उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि उनकी मानसिक स्थिति और सोचने की क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है। नतीजा यह कि अपराध बढ़ता है। समाज में असुरक्षा की भावना पनपती है।

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इसके अलावा सोने और अन्य कीमती धातुओं की तस्करी से भी राजस्व की हानि होती है। तस्करी के जरिए ये वस्तुएं अवैध रूप से आयात होती हैं, जिससे भारतीय बाजार में इनकी आपूर्ति बढ़ जाती है, जबकि सरकार इनसे मिलने वाले शुल्क और करों से वंचित रह जाती है। इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वन्यजीवों की तस्करी भी एक गंभीर समस्या है, जिससे जैव विविधता पर बुरा असर पड़ता है। अवैध शिकार और वन्यजीव उत्पादों की तस्करी से कई दुर्लभ प्रजातियां समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं।

भारत में तस्करी को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सबसे पहले सीमा सुरक्षा को मजबूत करना आवश्यक है। इसके लिए नई तकनीकों का उपयोग जैसे ड्रोन, कैमरा निगरानी और सेंसर-आधारित सुरक्षा उपायों को लागू करना चाहिए, ताकि तस्करी की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सके। इसके साथ ही जन जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि लोग तस्करी के दुष्प्रभावों को समझ सकें और इस अवैध व्यापार का हिस्सा बनने से बचें। इसके अलावा कानून प्रवर्तन एजंसियों को सशक्त बनाना भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

रोकथाम के लिए हो रहे प्रयास

एजंसियों को आवश्यक संसाधन और नई तकनीकों से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, जिससे वे तस्करी के मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई कर सकें। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में भी काम करना होगा। तस्करी के मामलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान और सहयोग बढ़ा कर तस्करी के संजाल को तोड़ा जा सकता है। इस प्रकार तस्करी की रोकथाम के लिए एक समग्र और समन्वित प्रयास की आवश्यकता है, जिसमें सरकार, सुरक्षा एजंसियां और समाज सभी का सहयोग आवश्यक है।

तस्करी के दुष्प्रभाव समाज और देश पर गहरे रूप से पड़ते हैं। मादक पदार्थों, सोने, कीमती रत्नों और वन्यजीव उत्पादों की तस्करी से राजस्व में भारी कमी होती है। जब ये वस्तुएं अवैध रूप से आयात या निर्यात होती हैं, तो सरकार को उनका कर और शुल्क नहीं मिल पाता, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि बाधित होती है। दूसरी ओर, मादक पदार्थों की तस्करी विशेष रूप से चिंता का विषय है, क्योंकि यह युवा पीढ़ी को नशे की लत में डाल देती है। नशे के कारण युवाओं में अपराध की प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं, जो न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि समाज में असंतुलन का कारण भी बनती हैं।