पाकिस्तानी अखबार ‘द डॉन’ ने लिखा है कि भारत कश्मीर पर बात नहीं करने के अपने पुराने रुख से पीछे हट गया है। अखबार ने रविवार को बैंकॉक में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की मीटिंग और इसके बाद जारी साझा बयान का हवाला देते हुए ऐसा लिखा है। अखबार के मुताबिक राजनीतिक पंडितों की राय में यह बैठक बिहार में नरेंद्र मोदी की भाजपा की करारी हार का ‘साइड इफेक्ट’ है।
सूत्रों के हवाले से ‘डॉन’ का कहना है कि पाकिस्तानी एनएसए ले. जनरल (रि.) नासिर खान जांजुआ और उनके भारतीय समकक्ष अजित डोभाल के बीच मीटिंग पहले सिंगापुर में होनी थी, लेकिन बाद में बैंकॉक को चुना गया। इस मीटिंग के लिए जमीन पेरिस में नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ की संक्षिप्त मुलाकात में ही तैयार हो गई थी। बताया जाता है कि ब्रिटेन और अमेरिका ने दोंनों नेताओं को बातचीत शुरू कर मसला हल करने के लिए कहा है।
अखबार का कहना है कि बातचीत में ले. जनरल जांजुआ को शामिल करना इस बात का संकेत है कि पाकिस्तानी सेना चाहती है कि वह भारत के मामले में अपनी नीति को आगे बढ़ाए। अब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आगे किए जाने को भी यह अखबार अलग रूप में देख रहा है। इसके मुताबिक स्वराज के हाथों में आगे की वार्ता की कमान सौंपने का मतलब है कि इसमें विदेश मंत्रालय के बड़े अफसर शामिल होंगे और यह नरेंद्र मोदी के काम करने के प्रचलित तरीके से अलग है। बता दें कि स्वराज मंगलवार को अफगानिस्तान से जुड़े मुद्दे पर कॉन्फ्रेंस के लिए इस्लामाबाद जा सकती हैं। वहां वह पाकिस्तान से बातचीत कर सकती हैं।
डॉन का कहना है कि प्रोटोकॉल के मुताबिक भारत का मंत्री विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज से ही बातचीत कर सकता है।
भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत जनवरी, 2014 से रुकी हुई है। दोनों देशों के एनएसए के बीच बातचीत 23 अगस्त को होनी थी। लेकिन वह भी रद्द हो गई थी। पाकिस्तान चाहता था कि एजेंडे में कश्मीर भी शामिल किया जाए, जबकि भारत इसके खिलाफ था।
बता दें कि दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने रविवार को बैंकाक में चार घंटे की बैठक की थी। इस बैठक में आतंकवाद और जम्मू कश्मीर सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई और रचनात्मक संपर्क को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी। पेरिस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ की एक संक्षिप्त मुलाकात के महज छह दिनों बाद ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नसीर जंजुआ व विदेश सचिव एस जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष एजाज अहमद चौधरी ने थाईलैंड की राजधानी में लंबी बैठक की। वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने एक संयुक्त प्रेस बयान जारी किया जिसमें कहा गया है, ‘भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच पेरिस में हुई मुलाकात को आगे बढ़ाते हुए दोनों एनएसए ने बैंकाक में रविवार को बैठक की। उनके साथ दोनों देशों के विदेश सचिव भी थे।’ बयान के मुताबिक चर्चा एक स्पष्ट, सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में हुई। दोनों नेताओं के एक शांतिपूर्ण स्थिर और समृद्ध दक्षिण एशिया के दृष्टिकोण से वे दिशानिर्देशित हुए। इसमें बताया गया है, ‘चर्चा में एलओसी पर शांति सहित आतंकवाद, शांति और सुरक्षा, जम्मू कश्मीर और अन्य मुद्दे शामिल रहे। साथ ही रचनात्मक संपर्क को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी।’
रचनात्मक संपर्क को आगे ले जाने का एनएसए का फैसला स्पष्ट रूप से यह भी संकेत देता है कि उन्होंने रुकी पड़ी द्विपक्षीय वार्ता को बहाल करने के लिए एक खाका तैयार करने पर काम किया होगा, जिसका ब्योरा सुषमा की पाकिस्तान की यात्रा के बाद सामने आ सकता है। एनएसए की बैठक के लिए एक तटस्थ और तीसरे देश को चुनने का फैसला शायद उन घटनाक्रमों के दोहराव को रोकने के लिए किया गया हो जिसके चलते वार्ता के लिए तत्कालीन एनएसए सरताज अजीज की नई दिल्ली यात्रा रद्द हो गई थी। दरअसल, नई दिल्ली ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अजीज को भारतीय राजधानी में कश्मीरी अलगाववादी नेताओं से मिलने की इजाजत नहीं दी जाएगी जिसके बाद पाकिस्तान ने यात्रा रद्द कर दी थी।
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