भारत सरकार ने देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़ी अमेरिकी विदेश विभाग की एक हालिया रिपोर्ट पर तीखी नाराजगी ज़ाहिर की है और रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण भी बताया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ह्यूमन राइट्स से जुड़े क़ानूनों को बेहतर करने के नजरिए से रिपोर्ट (कंट्री रिपोर्ट) जारी की थी। रिपोर्ट ब्यूरो ऑफ़ डेमोक्रेसी ह्यूमन राइट्स एंड लेबर शाया की थी। एंटनी ब्लिंकन ने रिपोर्ट को लेकर कहा था कि इसमें 200 मुल्कों के मानवाधिकारों की स्थिति के सच जानकारी दी गई है।
इस रिपोर्ट में जहां भारत का ज़िक्र है मणिपुर के मुद्दे को खासतौर पर दिखाया गया है। जहां पिछले साल एक जातीय संघर्ष छिड़ गया था। इस रिपोर्ट में देश भर में अल्पसंख्यकों, पत्रकारों और असहमति की आवाज़ों पर कथित हमलों का भी ज़िक्र किया गया है।
भारत सरकार ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘यह रिपोर्ट बेहद पक्षपातपूर्ण है और भारत के बारे में खराब समझ को दर्शाती है। हम इसे कोई महत्व नहीं देते और आपसे भी ऐसा ही करने का आग्रह करते हैं।”
रिपोर्ट में क्या है?
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय मानवाधिकार संगठनों, कई समुदायों और अल्पसंख्यक राजनीतिक दलों ने मणिपुर हिंसा को लेकर भारत सरकार की लापरवाही का ज़िक्र किया है। रिपोर्ट में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) के कार्यालय पर आयकर विभाग के छापे के बारे में भी बताया गया है और पत्रकारों पर हमलों के बारे में भी जानकारी दी गई है।
2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री का हवाला देते हुए, विदेश विभाग ने कहा, “सरकार ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए हर तरह के प्रयास किए। मीडिया कंपनियों को वीडियो के लिंक हटाने के लिए मजबूर किया गया इसे दिखाने वाले छात्र प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। भारत में इसे बैन तक कर दिया गया=।