India Pakistan Indus Waters Treaty: भारत ने सिंधु जल संधि के तहत बनाई गई मध्यस्थता अदालत (Court of Arbitration) की वैधता को मानने से इनकार कर दिया है। इस अदालत ने जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रातले परियोजना से संबंधित मामलों की सुनवाई करने की अपनी क्षमता पर एक सप्लीमेंट अवार्ड (Supplemental Award) जारी किया था। भारत ने अक्टूबर, 2022 में विश्व बैंक द्वारा हेग में बनाई गई इस अदालत की कार्यवाही का शुरू से ही विरोध किया है।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर इसे ‘पाकिस्तान के इशारे पर किया गया नया नाटक’ करार दिया। भारत ने कहा है कि यह पाकिस्तान के द्वारा आतंकवाद के मामले में अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘भारत ने कभी भी इस तथाकथित मध्यस्थता कोर्ट (Court of Arbitration) को मानता नहीं दी है। भारत का सीधा स्टैंड यही है कि ऐसी कोई तथाकथित संस्था अपने आप में ही सिंधु जल संधि का गंभीर उल्लंघन है और इस मंच पर होने वाली कोई भी कार्यवाही पूरी तरह अवैध है।’

इस कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि भारत की ओर से संधि को स्थगित रखने का फैसला उसे उसकी ‘क्षमता’ से वंचित नहीं कर सकता।

क्या कर रहा है भारत?

यहां यह भी बताना जरूरी होगा कि भारत झेलम की सहायक नदी किशनगंगा पर किशनगंगा परियोजना तथा चेनाब नदी पर रातले परियोजना का निर्माण कर रहा है। 2015 में पाकिस्तान ने इन प्रोजेक्ट्स के डिजाइन को लेकर आपत्ति जताई थी और विश्व बैंक का रुख किया था और एक न्यूट्रल एक्सपर्ट की नियुक्ति की मांग की थी। लेकिन 2016 में पाकिस्तान ने यह अनुरोध वापस ले लिया था और Court of Arbitration की मांग की थी।

13 अक्टूबर, 2022 को विश्व बैंक ने मिशेल लिनो को न्यूट्रल एक्सपर्ट नियुक्त किया था और Court of Arbitration भी बनाया। भारत ने तभी से इस अदालत की कार्यवाही का लगातार विरोध किया है।

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सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे पाकिस्तान

विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा है कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग किया है और सिंधु जल संधि को स्थगित किया है। भारत ने कहा है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा, यह संधि स्थगित रहेगी।

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सिंधु जल संधि को कर दिया था स्थगित

याद दिलाना जरूरी होगा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला किया था। ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में कहा था कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता। याद दिलाना होगा कि सिंधु जल संधि को स्थगित किए जाने के बाद पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। इससे पहले दोनों देशों के बीच नौ साल तक बातचीत चली थी।

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