पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ क्रिकेट रिश्तों को और नुकसान पहुंचा है। पाकिस्तान में भारतीय टीम लंबे समय से नहीं गई है। भारत सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि जब तक आतंकवाद पूरी तरह खत्म नहीं होगा, भारतीय खिलाड़ी पाकिस्तान की धरती पर कदम नहीं रखेंगे। इसको लेकर पूर्व राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि क्रिकेट हमारे लिए सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जुनून है। लेकिन कुछ घटनाएं इतनी गहरी होती हैं कि वे खेल से भी ऊपर चली जाती हैं।

सैयद अकबरुद्दीन ने 1990 के दशक का जिक्र करते हुए बताया कि एक समय भारत ने रंगभेदी नीति के कारण दक्षिण अफ्रीका के साथ क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था। लेकिन आज, हम एक और देश के साथ क्रिकेट नहीं खेल रहे, और इसकी वजह सिर्फ एक आतंकवादी हमला नहीं है।

उन्होंने कहा, “हां, उस आतंकवादी हमले में बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों की जान गई, लेकिन यह मामला सिर्फ जानें गंवाने का नहीं है। यह हमारे सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर हमला था। यह हमारे बहुलवाद, हमारे समाज की विविधता और हमारे सह-अस्तित्व की भावना को चोट पहुंचाने वाला कृत्य था।”

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पूर्व राजनयिक ने कहा कि इस्लामाबाद द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का असर सिर्फ सुरक्षा तक सीमित नहीं है, यह भारत की आर्थिक गति को धीमा करने का भी एक प्रयास है। “हमें यह समझना चाहिए कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने आजादी के बाद एक ही समय में अपने सफर की शुरुआत की थी। लेकिन आज हमारी अर्थव्यवस्था पाकिस्तान की तुलना में करीब दस गुना बड़ी है। महाराष्ट्र जैसे एक राज्य की अर्थव्यवस्था अकेले पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था से आगे निकल चुकी है।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को बदला क्योंकि वहां बदलाव हुआ, लेकिन पाकिस्तान के मामले में स्थिति अब भी गंभीर है। “हमारा पाकिस्तान से क्रिकेट न खेलना सिर्फ खेल से दूरी नहीं है, बल्कि यह उस नीति से इनकार है जो आतंकवाद को पालती है।”

सैयद अकबरुद्दीन के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत का रुख सिर्फ कूटनीतिक या सुरक्षा आधारित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान और सामाजिक समरसता की रक्षा से जुड़ा हुआ है।