भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम को लेकर विपक्ष पूरी तरह से मोदी सरकार पर हमलावर नजर आ रही है। विपक्ष सरकार से प्रश्न पूछ रहा है कि मजबूत स्थिति में होने के बावजूद सीजफायर का ऐलान क्यों किया गया। वहीं घाटी की पार्टियां केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रही हैं। जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि दूर-दराज के शहरों में बैठे हुए टीवी एंकर ही युद्ध चाहते हैं। कश्मीर के लोग युद्ध नहीं शांति चाहते हैं।
उमर के साथ ही राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को शांतिपूर्ण तरीका तलाशने के लिए अनुचित नहीं ठहराना चाहिए। ये समय युद्ध और विभाजन का नहीं बल्कि कूटनीति का है।
विपक्ष को राजनीतिक लाभ उठाने की आदत को करना चाहिए बंद – मुफ्ती
कांग्रेस सहित विपक्ष के अधिकांश पार्टियां जब पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम पर सवाल उठा रही हैं। ऐसे में घाटी की पार्टियों द्वारा मोदी सरकार के इस फैसला का स्वागत करना अलग ही कहानी को दर्शाती है। बीते मंगलवार को महबूबा मुफ्ती ने लिखा, “मैं सभी विपक्षी दलों से अपील करती हूं कि वे बिना सोचे-समझे आलोचना करने या राजनीतिक लाभ उठाने की आदत को बंद करें। जिस तरह पहलगाम की घटना ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक आवाजें एकजुट कर दीं, उसी तरह शांति प्रक्रिया के इर्द-गिर्द राष्ट्रीय सहमति बनाने की जरूरत है, जिससे राष्ट्रीय हितों की रक्षा की जा सके। विपक्ष को राजनीति से ऊपर उठकर शांति और स्थिरता के लिए वास्तविक प्रयासों का समर्थन करना चाहिए।”
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मुफ्ती ने आगे लिखा, “जो लोग एसी स्टूडियो और ड्राइंग रूम में बैठकर संघर्ष विराम की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें सीमा पर रहने वाले परिवारों के साथ समय बिताना चाहिए ताकि वे यहां पर हर रोज हो रहे मृत्यु और तबाही की वास्तविक स्थिति को सही मायने में समझ सकें।”
बीते रविवार को उरी के सीमावर्ती गांव का दौरा करते हुए, मुफ्ती ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के बच्चे “बदला लेने के लिए नहीं बल्कि शांति का इंतजार कर रहे हैं”, और उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम करने का आह्वान किया। मुफ्ती ने कहा, “पाकिस्तान के साथ इलाज के लिए बातचीत की आवश्यकता होती है। आइए हम एक ऐसा भविष्य बनाएं जहां जम्मू-कश्मीर के बच्चे बिना किसी डर के रह सकें।” उन्होंने पीएम मोदी से तनाव बढ़ाने के बजाय बातचीत को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान और उसके बाद भी कांग्रेस केंद्र सरकार के साथ मजबूती से खड़ी रही, लेकिन सीजफायर को लेकर सवाल उठाती रही है। सीजफायर को लेकर कांग्रेस अमेरिका की मध्यस्थता की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर रही है, जैसा कि डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है। वहीं आम आदमी पार्टी ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की।