भारत के अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से रिश्ता हमेशा से ही उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। वहीं, दूसरी ओर एक और पड़ोसी देश बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना देश छोड़ने के बाद से लगभग एक महीने से भारत में ही शरण लिए हुए हैं। पड़ोसी देशों की राजनीतिक उथल-पुथल के बीच सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR)-C वोटर के एक नए सर्वे में शामिल 60% से अधिक भारतीयों और आधे से अधिक पाकिस्तानियों का मानना ​​है कि इस दशक में दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं हो सकते हैं।

2016 के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में गिरावट आई है, जिसके बाद कोई उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई है। सर्वे तीनों देशों के लगभग 12,000 उत्तरदाताओं ने पूरा किया जिसमें राजनीतिक, आर्थिक और विदेश नीति के मुद्दों पर भारतियों, पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों की राय ली गयी।

यह सर्वे 2022 में किया गया था और इसके नतीजे पिछले हफ्ते दिल्ली में ‘बदलती दुनिया में दक्षिण एशिया: विभाजन के 75 साल बाद भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिक क्या सोचते हैं’ शीर्षक से एक रिपोर्ट में जारी किए गए।’

28 प्रतिशत भारतीयों को लगता है कि भारत और पाकिस्तान मित्र राष्ट्र हो सकते हैं

सर्वे के अनुसार, 48% भारतीय, 31% पाकिस्तानी और 32% बांग्लादेशी 1947 के विभाजन के बाद बने शत्रुपूर्ण हालात के विपरीत स्थितियों के पक्ष में होंगे। हालांकि, 62% भारतीयों को लगता है कि यह असंभव है और 28% ने कहा कि इसकी संभावना है कि निकट भविष्य में भारत और पाकिस्तान के संबंध मित्रतापूर्ण हो सकते हैं। वहीं, पाकिस्तान में 52% उत्तरदाताओं ने कहा कि यह असंभावित है और 38% ने कहा कि ऐसा होने की संभावना है। इसके विपरीत, 2011 और 2013 में पिछले सर्वे ने दोनों देशों के बीच सुलह की आशा दिखाई थी।

बांग्लादेशियों को उम्मीद- सुधरेंगे भारत-पाक के रिश्ते

हैरानी की बात यह है कि बांग्लादेश में उत्तरदाता भारत-पाकिस्तान संबंधों के बारे में अधिक सकारात्मक थे। वहां 45% उत्तरदाताओं ने कहा कि दोनों देशों के अच्छे संबंध होने की संभावना है और 40% ने कहा कि ऐसा होना असंभव है।

गौरतलब है कि सर्वे के नतीजे तब आए हैं जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को दिल्ली में पूर्व राजनयिक राजीव सीकरी की पुस्तक विमोचन के अवसर पर स्वीकार किया था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत की संभावना अब बहुत कम है। उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग खत्म हो गया है। कार्यों के परिणाम होते हैं।” उन्होंने डॉ. जयशंकर ने मोदी सरकार की नीति का बचाव किया।

भारतीयों को अमेरिका से ज्यादा रूस पर भरोसा

क्षेत्रों में वैश्विक शक्तियों की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर भारतीय चीनी हस्तक्षेप के बारे में सबसे कम चिंतित थे (आधे से भी कम), जबकि दो तिहाई से अधिक पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों ने चीनी हस्तक्षेप पर गहरी चिंता दिखाई।

ज़्यादातर भारतीयों ने कहा कि उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में रूस पर भरोसा है, जबकि केवल 18% ने कहा कि उन्हें चीन पर भरोसा है। पाकिस्तानी उत्तरदाताओं ने यह भी कहा कि वे अमेरिका की तुलना में रूस पर अधिक भरोसा करते हैं, हालांकि 84% से अधिक लोगों ने चीन पर भरोसा किया, जो अब तक सबसे अधिक है। बांग्लादेश के लिए भी रूस सबसे भरोसेमंद (76%) था जबकि अमेरिका और चीन पर विश्वास का स्तर बराबर (68%) था।