Lakshadweep Maldives Row: मालदीव या लक्षद्वीप… सोशल मीडिया पर इन दिनों इन दोनों टूरिस्ट डेस्टिनेशन को लेकर बहस छिड़ी हुई। विवाद के बाद ट्रैवल बुकिंग करने वाली एक कंपनी ने मालदीव की सारी टिकट कैंसिल कर दी हैं। पीएम मोदी ने जब से लक्षद्वीप की खूबसूरत तस्वीरें शेयर की हैं इस जगह पर जाने के लिए लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है। सोशल मीडिया पर लोग लक्षद्वीप के बारे में बात कर रहे हैं। कई ऐसे यूजर्स भी हैं जो सोशल मीडिया पर इस बात का सबूत दिखा रहे हैं कि उन्होंने मालदीव की टिकट कैंसिल कर दी है। इसी बीच मेकमाईट्रिप पर लक्षद्वीप को लेकर 3,400 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। लोग अगली छुट्टियों में लक्षद्वीप जाने की योजना बनाने लगे हैं। हालांकि मालदीव को चुनौती देना आसान नहीं है। मालदीव को टक्कर देने के लिए अभी लक्षद्वीप को काफी विकसित करना होगा। इसके बाद ही लक्षद्वीप हॉट टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन सकता है।

इस विवाद के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि लक्षद्वीप एक हॉट टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन सकता है। हालांकि यह सोचने वाली बात है कि क्या केंद्र शासित प्रदेश यहां होने वाली परेशानियों को दूर कर इस जगह को एक सफल टूरिस्ट डेस्टिनेशन बना पाने में सफल हो सकेगा। दरअसल, मालदीव की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर है। हालांकि लक्षद्वीप की पारिस्थिति इस मामले में कमजोर है। हालांकि लक्षद्वीप में एक सीमित पर्यटन स्थल विकसित किया जा सकता है। चलिए बताते हैं कि ऐसी क्या चुनौतियां हैं जिसका सामना लक्षद्वीप कर रहा है?

-सिर्फ कोचीन एयरपोर्ट से लक्षद्वीप के अगत्ती द्वीप तक फ्लाइट्स हैं।
-कोचीन और लक्षद्वीप के बीच सिर्फ 6 समुद्री जहाज हैं।
-लक्षद्वीप जाने के लिए परमिट की जरूरत पड़ती है।

लक्षद्वीप से कनेक्टिविटी

लक्षद्वीप में 36 द्वीप हैं, जिनका क्षेत्रफल 32 वर्ग किमी है। इनमें से केवल 10 ही अच्छी तरह बसाए हुए हैं। लक्षद्वीप में सबसे लोकप्रिय स्थान बंगाराम, कदमत, मिनिकॉय, कल्पेनी और कावारत्ती हैं। ये सभी जगहें कोच्चि (केरल) की फ्लाइट्स पर निर्भर हैं। केंद्र सरकार ने वादा किया है कि लक्षद्वीप में एक एयरपोर्ट बनाया जाएगा। हालांकि लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने मीडिया से कहा कि आने वाले समय में यह एक खूबसूरत पर्यटन स्थल होगा। यहां एक एयरपोर्ट की जरूरत है। सरकार इस पर काम कर रही है। यहां की द्वीप का केरल से कनेक्टिविटी है, लेकिन हवाई कनेक्टिविटी की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के लोगों को न्यूजीलैंड या स्विट्जरलैंड जाने की कोई जरूरत नहीं है। सब कुछ लक्षद्वीप में है।”

फिलहाल, फ्लाइट्स केवल कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लक्षद्वीप के अगत्ती द्वीप तक है। एयर इंडिया की सहायक कंपनी एलायंस एयर की फ्लाइट 6 दिन हैं। फ्लाइट का समय 1 घंटा 30 मिनट है। रिपोर्ट के अनुसार, अगत्ती द्वीप के रनवे पर सिर्फ स्लिम जहाज ही उतर सकते हैं। हालांकि इसे एयरपोर्ट की तरह विकसित करने की प्लानिंग है। जहां बड़े आकार के विमान भी उतर सकें।

वहीं दूसरी ओर, मालदीव के लिए 60 शहरों से सीधी फ्लाइट्स हैं। एक सप्ताह में लगभग मालदीव से जुड़ने वाली भारतीय एयरलाइंस की 58 फ्लाइट्स हैं। इस तरह लक्षद्वीप को मालदीव की तरह पर्यटन स्थल बनाना है तो सरकार को हर प्रमुख शहर से सीधी प्लाइट की सुविधा देनी होगी।

इसके अलावा समुद्री रास्ते लक्षद्वीप जाने के लिए सप्ताह में सिर्फ 6 जहाज हैं। एमवी कावारत्ती, एमवी अरब सागर, एमवी लक्षद्वीप सागर, एमवी लैगून और एमवी कोरल जैली शिप सिर्फ कोचीन और लक्षद्वीप के बीच चलती हैं। शिप से यात्रा करने पर 14 से 18 घंटे का टाइम लगता है। इसके अलावा द्वीपों के बीच कनेक्टिविटी को मजबूत करने की जरूरत है। जैसे- लक्षद्वीप का सबसे अधिक आबादी वाला द्वीप मिनिकॉय एटोल से लगभग 300 किमी दूर है। इसके उलट मालदीव में अधिकांश रिसॉर्ट्स राजधानी माले से 40-150 किमी दूर हैं। जहां स्पीड बोट और सीप्लेन के जरिए बेहतर कनेक्टिविटी है।

लक्षद्वीप जाने के लिए परमिट

दुनिया भर के लोग इसलिए भी मालदीव जाना पसंद करते हैं क्योंकि वहां एंट्री लेने के लिए किसी तरह की परमिट की जरूरत नहीं है। वहां ट्रैवल करने के लिए किसी वीजा की जरूरत नहीं है। हालांकि लक्षद्वीप पर जाने के लिए प्रशासन से परमिट लेना होगा। परमिट लेने का प्रॉसेस भी काफी लंबा है।

साफ पानी की कमी

इसके अलावा लक्षद्वीप पर साफ पानी की कमी है। सरकार को यहां ताजे पानी की सुविधा मुहैया करानी होगी। यहां ताजे पानी के स्रोत की कमी है। यहां 100 दिनों तक लगातार बारिश होती है फिर भी यहां साफ पान की कमी है। अच्छी बात यह है कि पीएम मोगी ने हाल ही में लक्षद्वीप के हर घर में पाइप से पानी पहुंचाने के लिए कदमत में लो टेम्परेचर थर्मल डिसेलिनेशन (LTTD) प्लांट का उद्घाटन किया था। कुल मिलाकर अगर लक्षद्वीप को मालदीव की तरह विकसित करना है तो सरकार को इसके लिए तेजी से काम करना होगा।