भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही खतरनाक एमक्यू-9बी रीपर या प्रीडेटर-बी ड्रोन को लेकर बड़ी डील होने जा रही है। इस डील को चीन और पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए अहम माना जा रहा है। रिपोट से चलने वाले इन ड्रोन से ना सिर्फ नौसेना की ताकत में इजाफा होगा, बल्कि सेना और वायु सेना को ताकत भी कई गुना बढ़ जाएगी। अमेरिका के साथ इसे लेकर 33 हजार करोड़ से अधिक की डील होनी है। फिलहाल भारत इन ड्रोन की कीमत को और कम करने के लिए बातचीत कर रहा है।
क्या है एमक्यू-9बी की खासियत
एमक्यू-9बी ड्रोन 40 हजार फुट से भी अधिक ऊंचाई पर उड़ान भर सकते हैं। इनमें 40 घंटे तक उड़ान भरने की क्षमता है। चीनी ड्रोन के मामले में यह काफी आधुनिक और सटीक हमले के लिए जाने जाते हैं। इन्हें हेलफायर एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों और स्मार्ट बमों से लैस किया गया है। भारत अमेरिका के साथ जो डील कर रहा है उसमें 170 हेलफायर मिसाइलें, 310 GBU-39B प्रेसिजन-गाइडेड ग्लाइड बम, नेविगेशन सिस्टम, सेंसर सूट और मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका से जो 31 ड्रोन भारत को मिलेंगे, उनमें से 15 ड्रोन नौसेना को दिए जाएंगे। वहीं सेना और वायु सेना को 8-8 ड्रोन मिलेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह डील ऐसे समय में होने जा रही है जब चीन ने पाकिस्तान को अपने सशस्त्र कै होंग-4 और विंग लूंग-II ड्रोन की आपूर्ति बढ़ा दी है। बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान ने चीन से 16 सशस्त्र CH-4 ड्रोन मांगे हैं।
नवंबर तक हो सकती है डील
अमेरिकी सरकार और जनरल एटॉमिक्स के साथ भारत इस डील को नवंबर तक पूरी तर सकता है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति से अंतिम मंजूरी के बाद इस कैलेंडर वर्ष के भीतर सौदे को पूरा करने के लिए सभी प्रयास चल रहे हैं। सौदे के तहत इन ड्रोन को भारत में ही असेंबल किया जाएगा। कंपनी भारत में ही इसके कुछ पुर्जे भी खरीदेगी। डीआरडीओ से साथ इसकी बातचीत भी हो रही है। भारतीय महासागर क्षेत्र के लिए अरक्कोणम और पोरबंदर और भूमि सीमाओं के लिए सरसावा और गोरखपुर में ISR कमांड और नियंत्रण केंद्रों पर लड़ाकू आकार के ड्रोन तैनात किए जा सकते हैं।