15 अगस्त 1947 को देश अंग्रेजों से आजाद हुआ और सत्ता की बागडोर भारतीयों के पास आ गई। जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को उस समय देश के सभी हिस्सों में लोकतंत्र और संविधान पूरी तरह से लागू हुआ। हालांकि देश में एक ऐसा राज्य भी था जहां संविधान लागू नहीं किया गया। दरअसल उस राज्य में वहां का अपना संविधान लागू था। जिस वजह से देश का संविधान वहां उस समय लागू नहीं किया जा सका।
अभी तक के हिसाब से आप सभी को अंदाजा तो लग ही गया होगा कि हम किस राज्य की बात कर रहे हैं। दरअसल भारत का मस्तक कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर राज्य में संविधान 26 जनवरी को लागू नहीं किया गया। जम्मू-कश्मीर में आजादी के बाद करीब 70 साल बाद जाकर संविधान पूरी तरह से लागू किया गया। आइए जानते हैं पूरी कहानी…
अनुच्छेद 370 और 35A की वजह से नहीं लागू हो पाता था संविधान
दरअसल जब 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ तो उसी के साथ देश का दो हिस्सों में बटवारा भी हो गया, भारत और पाकिस्तान। उस समय आजाद भारत की सीमा में 565 रियासतें थीं। जिसको देश के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने धीरे-धीरे करते हुए देश का हिस्सा बना लिया गया, लेकिन जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने अपने नियम और शर्तों पर भारत का हिस्सा बनने की बात कही। जिसके बाद जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 और 35A लागू हो गया। इस अनुच्छेद के लागू होने की वजह से राज्य में संविधान पूरी तरह से लागू नहीं हो सका।
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दोनों देशों की सीमा पर स्थित जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान चाहता था कि उस पर उसका आधिपत्य हो। लेकिन हर बार उसके मंसूबे बेकार हुए और पाकिस्तान को मूंह की खानी पड़ी। दरअसल जम्मू-कश्मीर के विवाद के बीच उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर के मसले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने की बात कही थी।
कश्मीर को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उठाई थी मांग
आजादी के बाद करीब 70 साल बाद 2019 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त को संसद में अनुच्छेद 370 और 35A को खत्म करते हुए पूरे देश में समान रूप से संविधान लागू कर दिया गया। चूंकि बीजेपी के मातृ पार्टी के शीर्ष पुरुष रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर कहा था कि देश में दो-विधान, दो-प्रधान और दो-संविधान नहीं चलेगा। जिसके बाद कश्मीर यात्रा के दौरान श्रीनगर में ही उनकी मृत्यु हो गई थी।
अब बताते हैं भारत के संविधान के बारे में जिसको लागू करने को लेकर आए दिन चर्चा होती है। भारत के संविधान को 26 नवंबर 1949 को भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से अपना लिया। भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था, जिसके दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 को यह लागू हुआ और इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में घोषित किया गया। इसी वजह से 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। जिसके बाद भारत सरकार ने साल 2015 में हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की घोषणा की थी।
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दरअसल संविधान का प्रारूप तैयार करना एक गहन और समावेशी प्रक्रिया थी। संविधान सभा को इसका प्रारूप तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे। भारत के संविधान निर्माण की प्रक्रिया में 7600 से ज्यादा संशोधन प्रस्तावित किए गए। बाद में सभा द्वारा 114 दिनों तक प्रारूप पर चर्चा करने के बाद 2400 संशोधनों को स्वीकार किया गया।
