भारत ने आतंकवादी संगठनों को पैसा भेजने वालों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। इसी कवायद के तहत सरकार ने पैसा मुहैया कराने और धनशोधन में लगे तीन दर्जन से ज्यादा संगठनों के तीन लाख यूरो (करीब 2.12 करोड़ रुपए) भेजने पर रोक लगा दी है। यह बात वैश्विक स्तर पर संचालित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की एक रपट में कही गई जो आतंकवाद को आर्थिक मदद पर रोक के लिए काम करती है। एफएटीएफ ने खतरनाक आतंकी समूह, आइएस की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर आतंकवादियों की आर्थिक मदद पर रोक के लिए दुनिया के विभिन्न देशों और आर्थिक शक्तियों की तैयारियों की मध्यावधि समीक्षा की है।

रपट में भारत की पहल के बारे में कहा गया है कि भारत ने इस साल 15 अगस्त से अब तक 37 इकाइयों के खातों पर रोक लगा दी है जिसमें तीन लाख यूरो जमा हैं। भारत एफएटीएफ का पूर्ण सदस्य है। इसमें अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे अन्य देश शामिल हैं। रपट में कहा गया है कि कार्यबल ने आइएस और अन्य आतंकी समूहों के बढ़ते खतरे के मद्देनजर आतंकी वित्तपोषण और आतंकवाद के वैश्विक खतरे की नए सिरे से समीक्षा की है। जी 20 नेताओं ने यह रपट तैयार करने को कहा था।

एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी संस्था है जिसका गठन 1989 में किया गया था और इस पर धनशोधन और अन्य वित्तीय अपरोधों से निपटने के लिए वैश्विक नियम और मानक निर्धारित करने का जिम्मा है जिनका विश्व भर की आतंकी गतिविधियों पर सीधा असर हो सकता है।

एफएटीएफ की पिछले महीने पेश इस रपट में भारत संबंधी अंश में प्रतिबंधित आतंकवादी समूह हिज्ब-उल-मुजाहिदीन की गतिविधियों के वास्ते पैसा मुहैया कराने के लिए बैंकिंग सुविधाओं के इस्तेमाल का जिक्र किया गया। इस समूह ने कश्मीर घाटी समेत भारत में कई जगह हमले और हत्या की घटनाओं को अंजाम दिया।

वैश्विक संस्था ने भारतीय जांचकर्ताओं के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि हिज्ब उल मुजाहिदी ने पिछले आठ साल में भारत में अपनी आतंकी गतिविधियों के संचालन के लिए 80 करोड़ रुपए से अधिक राशि जुटाई। एफएटीएफ ने कहा- भारत में मौजूदा जांच में कहा गया है कि हिज्ब-उल-मुजाहिदीन को पाकिस्तान से भारत में आतंकी गतिवधियों के संचालन में मदद के लिए विभिन्न रास्तों से धन मिलता रहा। दावा किया गया कि हिज्ब-उल-मुजाहिदीन भारत में आतंकवादी घटानाओं को बढ़ावा देने में सक्रियता से शामिल रही और इसने पिछले आठ महीनों में 80 करोड़ रुपए से अधिक राशि जुटाई। इस समूह को भारत, अमरिका और यूरोपीय संघ ने आतंकवादी संगठन करार दिया है।