अमेरिका ने 2 अप्रैल 2025 से भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इन आशंकाओं के बीच कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्रालय ने गुरुवार को इंडस्ट्री से उन क्षेत्रों की पहचान करने को कहा, जहां चीन और अन्य देशों से सोर्सिंग को अमेरिकी उत्पादों से बदला जा सकता है। यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ऑटोमोबाइल और कृषि क्षेत्र में भारत के हाई टैरिफ की आलोचना करने के कुछ दिनों बाद आया है। सरकार व्यापक अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए टैरिफ में कटौती और बाजार पहुंच पर काम कर रही है, जो वैश्विक व्यापार को नया रूप दे रहे हैं। इससे ट्रेड वॉर को बढ़ावा मिलेगा।
पीयूष गोयल ने क्या कहा?
मंत्रालय के एक बयान के अनुसार काॅमर्स मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए काम कर रही है, साथ ही भारतीय निर्यातकों के लिए सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने के लिए कई रणनीतियों का पालन कर रही है। रेसिप्रोकल टैरिफ पर पीयूष गोयल ने निर्यातकों से ‘संरक्षणवादी मानसिकता’ से आगे बढ़ने का आग्रह किया और उन्हें साहसी होने के लिए प्रोत्साहित किया।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार को इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान अधिकारियों ने अमेरिकी शुल्कों के अवसरों और प्रभावों पर चर्चा की। इस्पात और एल्युमीनियम निर्यातकों ने सरकार को बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा इन धातुओं पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ से 5 अरब डॉलर मूल्य के सामान पहले ही प्रभावित हो चुके हैं। टैरिफ इस हफ्ते से प्रभावी हो गए हैं।
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कितने के निर्यात पर पड़ा असर?
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (EEPC) इंडिया के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा, “सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र विशेष रूप से चिंतित है, क्योंकि ट्रम्प के हालिया टैरिफ से 5 बिलियन डॉलर के निर्यात पर असर पड़ा है। चैप्टर 72/73/76 के तहत कुल निर्यात 5 बिलियन डॉलर है। चैप्टर 73, जिसमें लोहा और इस्पात उत्पाद शामिल हैं, उसका कुल निर्यात 3 बिलियन डॉलर का है और यह मुख्य रूप से एमएसएमई निर्यातकों द्वारा संचालित है। चूंकि अमेरिका के लिए यात्रा का समय लगभग 60 दिन है, इसलिए लगभग 1 बिलियन डॉलर के शिपमेंट वर्तमान में समुद्र में हैं और इस शुल्क से प्रभावित होंगे।”
उद्योग प्रतिनिधियों ने बाजार पहुंच पर भी इनपुट प्रदान किया जो सरकार कपड़ा, रत्न और आभूषण, कालीन और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में अमेरिका को दे सकती है। कपड़ा क्षेत्र ने अमेरिकी उत्पादों पर 0 टैरिफ की बात कही की, जबकि रत्न और ज्वेलरी क्षेत्र ने सरकार से कट और पॉलिश किए गए हीरे पर न्यूनतम 2.5 प्रतिशत शुल्क बनाए रखने का आग्रह किया, जो वर्तमान 5 प्रतिशत है। इस बीच कई निर्यातकों ने सरकार को बताया कि भारत को पहले से ही अधिक ऑर्डर मिल रहे हैं, क्योंकि चीन, मैक्सिको और कनाडा जैसे प्रमुख अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं को अधिक टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है।
भारत के पक्ष में काम कर सकते अमेरिकी टैरिफ
बैठक में भाग लेने वाले एक व्यक्ति ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “कृषि और कुछ अन्य क्षेत्रों के अलावा, ये शुल्क भारत के पक्ष में काम कर सकते हैं, क्योंकि हम अमेरिका की तुलना में बहुत कम लागत पर सामान का उत्पादन करते हैं। भले ही अमेरिका के लिए कुछ क्षेत्रों में शुल्क कम कर दिए जाएं, लेकिन प्रतिस्पर्धा ही मायने रखती है।”