पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन सेना के बीच हुई खूनी झड़प से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। इसी बीच भारतीय वायु सेना ने चीन से लगे सभी अग्रिम मोर्चो पर हाई अलर्ट के साथ अपने लड़ाकू विमानों और हेलीकाप्टरों की तैनाती बढ़ा दी है। इसमें वायुसेना के सबसे आधुनिक लड़ाकू जेट सुखोई, जगुआर, मिग विमान के साथ-साथ अपाचे और चिनूक हेलीकाप्टरों की भी लेह-लद्दाख के इलाकों में तैनाती बढ़ा दी है। यहां तक कि अतिरिक्त युद्धपोतों को भी बंगाल की खाड़ी में तैनात किया गया है।

नए बिल्ड अप में अपाचे हेलीकॉप्टर शामिल हैं, जो एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल और रॉकेट की मदद से टैंकों को तहस-नहस कर सकते हैं। इसके अलावा चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर तैनात किए गए हैं, जो ऊंचाई वाले क्षेत्रों में (high-altitude areas) होवित्जर तोप और सैनिकों को ले जाने में सक्षम हैं। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया भी लेह के एयरबेस पहुंच गए हैं। वायुसेना प्रमुख का दौरा बिना किसी तय प्लान के हुआ था। इसलिए इसे मौजूदा परिस्थितियों में और अहम माना जा रहा है।

एएनआई के मुताबिक वायु सेना प्रमुख दो दिवसीय यात्रा पर थे, जहां उन्होंने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ झड़प के मद्देनजर सभी प्लेटफार्मों के परिचालन की जांच की।

इसके अलावा अंबाला, आदमपुर और बरेली एयरबेस को भी किसी विपरीत परिस्थिति के लिए अलर्ट पर रखा गया है। वहीं पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी के साथ अपनी सेना तैनात की है। यह विशेष रूप से गालवान घाटी क्षेत्र, पंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र के साथ-साथ पूर्वी लद्दाख में देपसांग और चुशुल जैसे अन्य क्षेत्रों में चल रहे सैन्य टकराव स्थलों पर चीन ने 10,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है।