विदेशों में नौकरी करने का सपना कई भारतीयों का रहता है, वहां पर पैसा अच्छा मिलता है, वहां सुविधाएं ज्यादा हैं, यह सोचकर ही कई युवा अपना गांव, अपना शहर छोड़ चले जाते हैं। लेकिन हर बार सपने पूरे हों, यह जरूरी नहीं। इस समय 30 हजार के करीब भारतीय चार देशों में फंसे हुए हैं, माना जा रहा है कि सभी साइबर स्लेवरी का शिकार हुए हैं। उन्हें मजबूर किया जा रहा है कि वे दूसरों को साइबर फ्रॉड में फंसाए।
किन देशों में फंसे हैं भारतीय?
इंडियन एक्सप्रेस ने ही सबसे पहले इस मामले को रिपोर्ट किया था, लेकिन तब सरकार के एक्शन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। लेकिन अब सरकार ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है, राज्य सरकारों से भी बात की गई है, जांच एजेंसियों को भी लूप में रखा गया है। हर कीमत पर इन भारतीयों को वापस लाने की तैयारी हो रही है। बताया जा रहा है कि इस समय कंबोडिया, थाइलैंड, म्यांमार और वेतनाम में सबसे ज्यादा भारतीय फंसे हुए हैं। काफी खराब हालत में, अलग-अलग तरह के टॉर्चर के बीच में वो रहने को मजबूर हैं।
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किस राज्य के कितने फंसे?
असल में गृह मंत्रालय के अंदर आने वाले Bureau of Immigration ने साइबर स्लेवरी से जुड़ा डेटा इकट्ठा किया है, जो जानकारी सामने आई है, वो हैरान कर देने वाली है। इस समय पंजाब के 3667, महाराष्ट्र के 3233, तमिलनाडु के 3124, यूपी के 2659, केरल के 2140, दिल्ली के 2068, गुजरात के 1928, कर्नाटक के 1200, तेलंगाना के 1169 और राजस्थान के 1041 भारतीय विदेशों में फंसे हुए हैं। आंकड़े यह भी बताते हैं कि वर्तमान में 20450 भारतीय थाइलैंड से वापस नहीं आ पाए हैं, वेतनाम से 6242, कंबोडिया से 2271 और म्यांमार से 503 भारतीयों को वतन वापसी का इंतजार है।
कौन सी उम्र के सबसे ज्यादा फंसे?
वैसे आंकड़ों को अगर और ज्यादा डीकोड किया जाए 20 से 29 साल की उम्र वाले 8777, 30 से 39 उम्र वाले 8338, 40 से 49 उम्र वाले 4819 भारतीय सबसे ज्यादा विदेशों में गए भी और वहां साइबर स्लेवरी का शिकार हुए। अब इस स्थिति को देखते हुए सारा डेटा टेलीकॉम डिपार्टमेंट, FIU, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ इलेट्रॉनिक्स, सीबीआई, एनआईए के साथ शेयर कर दिया गया है।
पीड़ितों की आपबीती
अब इस पूरे रैकेट की बात करें तो सबसे पहले लोगों को एक नौकरी का लालच दिया जाता है, कहा जाता है कि आपकको डेटा एंट्री की नौकरी करनी होगी। लेकिन जैसे ही यह लोग विदेश पहुंचते हैं, उन्हें साइबर फ्रॉड करने पर मजबूर किया जाता है। कुछ लोगों को जब इस रैकेट से बचाया गया, तो इंडियन एक्सप्रेस ने उनसे बात की थी। तब बताया गया कि था कि उन लोगों के पासपोर्ट तक ले लिए गए थे। उनसे जबरदस्ती फेक अकाउंट बनवाए गए थे, महिलाओं के फोटो लगाकर दूसरों से बात की जाती थी। जैसे ही पैसा वसूल कर लिया जाता था, अकाउंट ब्लॉक हो जाता था।