गलवान घाटी में जहां बीती 15 जून को भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आए थे, वहां अब चीनी सेना द्वारा बड़ी संख्या में स्थायी निर्माण कार्य कर लिया गया है। सैटेलाइट इमेज से इसका खुलासा हुआ है। बता दें कि जिस जगह पर चीनी सेना ने निर्माण किया है, वह गलवान नदी का तटबंधीय इलाका भारतीय सरजमीं का हिस्सा माना जाता है। इस तरह कह सकते हैं कि चीनी सेना ने भारतीय इलाके में ना सिर्फ घुसपैठ की है बल्कि वहां अपने कैंप भी बना लिए हैं।
यह गौरतलब बात इसलिए भी है कि यह निर्माण बीते 33 दिनों में ही किया गया है। दरअसल एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, बीती 22 मई की सैटेलाइट इमेज में इस जगह कोई निर्माण कार्य नहीं दिखाई दे रहा है लेकिन 22 जून को ली गई एक सैटेलाइट इमेज में खुलासा हुआ है कि चीन ने विवादित इलाके में बड़ी संख्या में निर्माण कार्य किया है।
गलवान घाटी में पीपी-14 पॉइंट के पास के तटबंधीय इलाके में निर्माण कार्य इसलिए भी अहम है क्योंकि चीनी सेना यहां से नीचे नदी के तट पर भारतीय सेना की गतिविधियों पर नजर रख सकती है। सैटेलाइट इमेज से यह भी पता चला है कि करीब 50 सैनिक गलवान नदी के तटबंध पर मौजूद दिखाई दे रहे हैं। 25 सैनिक उनसे करीब 150 मीटर की दूरी पर दिखाई दे रहे हैं।
इन सैटेलाइट इमेज को देखकर कहा जा सकता है कि चाइनीज आर्मी इस इलाके में अहम रणनीतिक ठिकानों पर तैनात है, जहां से वह भारतीय सेना पर नजर रख सकते हैं।
इस बीच एलएसी के नजदीक तिब्बत में चीन के एयरबेस एक्टिव होने की भी खबर है। जिस पर भारतीय वायुसेना बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए एयरफोर्स ने भी लद्दाख में अपने फाइटर जेट तैनात कर दिए हैं। इसके साथ ही सीमा के नजदीक एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी तैनात कर दिया गया है।
चीनी सेना ने लद्दाख में गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, हॉट स्प्रिंग इलाकों में अपने सैनिकों की तैनाती की हुई थी। अब चीन ने देपसांग इलाके में भी अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी देपसांग इलाके में अपने सैनिकों की संख्या में इजाफा किया है।