India-China Disengagement: लद्दाख में अप्रैल 2020 के बाद से जारी भारत-चीन विवाद आज पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। दोनों देश पहले की स्थिति को बरकरार रखते हुए अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमत हो गए, जिसके चलते पिछले दिनों शुरू हुआ डिसइंगेजमेंट का प्रोसेस आज पूरा हो जाएगा। इसके बाद देपसांग और डेमचोक क्षेत्र में पहले ही तरह से पेट्रोलिंग भी जारी रहेगी।

भारत-चीन डिसइंगेजमेंट को लेकर सेना के सूत्रों ने बताया कि इन दोनों इलाकों में अस्थायी ढांचों को हटाने का काम लगभग पूरा हो चुका है, और दोनों तरफ से वेरिफिकेशन भी हो चुका है।वेरिफिकेश में फिजिकल के अलावा UAV का भी इस्तेमाल किया गया है। दोनों पक्षों के सैनिकों को भी पीछे की ओर से वापस बुलाया जा रहा है, ताकि वे पहले की तरह पीछे ही तैनात रहे हैं और नियमानुसार पेट्रोलिंग करें।

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पहले की तरह पेट्रोलिंग पर सहमति

टकराव को लेकर भारत और चीन के बीच लंबे समय तक हुई बातचीत के बाद यह निर्णय लिया गया है कि पहले ही दुर्गम इलाकों में पेट्रोलिंग की जाएगी, जिसमें 10 से 15 सैनिकों की टुकड़ी शामिल होगी। पब्लिक में मौजूद सैटेलाइट इमेजेस ये पता चलता है कि देपसांग और डेमचोक में अस्थायी संरचनाओं को चीन द्वारा ध्वस्त कर दिया गया है।

साढ़े चार साल पहले चीनी घुसपैठ के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध बना हुआ था। सेना के सूत्रों ने बताया कि सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अगले दो दिनों में समन्वित गश्त शुरू हो जाएगी। दोनों पक्षों की ओर से पहले से सूचना दे दी जाएगी ताकि टकराव की स्थिति पैदा न हो।

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पहले पेट्रोलिंग को लकर हुआ था विवाद

सूत्रों ने बताया कि इसी तरह की व्यवस्था अरुणाचल प्रदेश में भी की जा रही है। देपसांग में भारतीय सैनिक अब विवादित क्षेत्र से आगे गश्त करने में सक्षम हो जाएंगे क्योंकि चीनी सैनिक, भारतीय सैनिकों को उस क्षेत्र से आगे स्थित गश्त बिंदुओं तक पहुंचने से रोक रहे थे। डेमचोक में भारतीय सैनिक अब ट्रैक जंक्शन और चार्डिंग नाला पर गश्त बिंदुओं तक पहुंचने में सक्षम होंगे।

अभी नहीं लौटेंगे सैनिक

सेना के सूत्रों ने बताया कि 2020 में गतिरोध के बाद लद्दाख में बड़ी संख्या में भारतीय सैनिक पहुंचे थे, जो तब तक बने रहेंगे जब तक कि चीन के साथ सीमा पर पेट्रोलिंग को सहमति नहीं बन जाती है, और डिसइंगेजमेंट पूरी तरह से वेरिफाई नहीं हो जाता है।